भारतीय हवाई क्षेत्र में उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ी, प्रबंधन सुव्यवस्थित करने की जरूरत: अधिकारी

Airplane landing to airport runway in sunset light

नयी दिल्ली, नौ नवंबर (भाषा) भारतीय वायु क्षेत्र में हवाई यातायात को और अधिक सुचारू बनाने के उपायों की आवश्यकता पर बल देते हुए नागर विमानन सचिव वुमलुनमंग वुअलनाम ने शनिवार को सुझाव दिया कि हवाई यातायात नियंत्रकों (एटीसी) को सृजनात्मक कृत्रिम मेधा (जेन-एआई) जैसी नई प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर विचार करना चाहिए।

वह राष्ट्रीय राजधानी में एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स गिल्ड (इंडिया) द्वारा आयोजित इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स एसोसिएशन (आईएफएटीसीए) की 40वीं एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय बैठक (एपीआरएम) को संबोधित कर रहे थे।

‘भविष्य के हवाई यातायात प्रबंधन में सुरक्षा’ विषय पर तीन दिवसीय बैठक शनिवार को शुरू हुई।

बैठक की वेबसाइट के अनुसार, प्रतिभागी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों, नवीन रणनीतियों और पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं पर चर्चा करेंगे जो भविष्य के हवाई यातायात प्रबंधन में सुरक्षा को आकार देंगे।

वुअलनाम ने कहा कि हवाई क्षेत्र में भीड़ बढ़ती जा रही है। “हवाई क्षेत्र में अधिक से अधिक उपयोगकर्ता आ रहे हैं।”

उन्होंने जेन-एआई जैसी नई प्रौद्योगिकियों का उल्लेख करते हुए जोर दिया कि “अनदेखा करने और अपनी आंखें बंद करने के बजाय हमें सहयोग करना चाहिए।”

उन्होंने सुझाव दिया कि हवाई यातायात प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने के तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए।

नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के संयुक्त महानिदेशक मनीष कुमार ने कहा कि सुरक्षा के साथ वृद्धि सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने विमानन क्षेत्र में मानव संसाधनों के महत्व पर भी जोर दिया।