नयी दिल्ली, तीनों सेनाओं, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और उद्योग जगत के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान संयुक्त अभियानों और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तथा उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में एकीकरण जैसे विषयों पर चर्चा की। रक्षा मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
‘इलेक्ट्रॉनिक युद्ध’ से तात्पर्य ऐसी कार्रवाई से है जिसमें विद्युतचुंबकीय स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल किया गया हो।
मंत्रालय ने कहा कि ‘चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी’ (सीओएससी) की एक उपसमिति, संयुक्त विद्युत चुम्बकीय बोर्ड (जेईएमबी) की वार्षिक बैठक 13 नवंबर को एकीकृत रक्षा स्टाफ (संचालन) के उप प्रमुख एयर मार्शल जितेंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में हुई।
बैठक में तीनों सेनाओं, डीआरडीओ, रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) और उद्योग जगत के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इसमें इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, उभरती प्रौद्योगिकियों, स्पेक्ट्रम प्रबंधन और मानव संसाधन प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में संयुक्त संचालन और एकीकरण जैसे मुद्दों को शामिल किया गया।
इसमें कहा गया है कि इस कार्यक्रम में एआई-सक्षम ई-तरंग प्रणाली की शुरुआत की गई।
वार्षिक बैठक का एकमात्र उद्देश्य ‘‘तीनों सेनाओं के बीच संयुक्त इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (ईडब्ल्यू) संचालन में तालमेल बैठाना तथा स्पेक्ट्रम युद्ध में क्षमताओं को बढ़ाने के लिए रूपरेखा तैयार करना’’ था।
इस बैठक में भविष्य के लिए प्रौद्योगिकी विकास और प्रशिक्षण प्राथमिकताओं की पहचान करने पर भी विचार किया गया।
एयर मार्शल मिश्रा ने विशेष संबोधन देते हुए प्रभावी संचालन के लिए सभी सेनाओं में ईडब्ल्यू परिसंपत्तियों को एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया।