कोच्चि (केरल), केरल उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न एवं प्रताड़ना के खुलासे से संबंधित विभिन्न मामलों की जांच अच्छी तरह आगे बढ़ रही है।
न्यायमूर्ति ए. के. जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति सी. एस. सुधा की विशेष खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा रिपोर्ट दाखिल करने के बाद यह टिप्पणी की, जिसमें रिपोर्ट में किए गए खुलासे के संबंध में दर्ज 26 प्राथमिकी में जांच में प्रगति का संकेत दिया गया है।
उच्च न्यायालय ने फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न के मुद्दे से संबंधित विभिन्न रिपोर्ट, सुझावों और मसौदा कानून को एकत्रित करने और समन्वय करने के लिए एक न्यायमित्र भी नियुक्त किया।
पीठ समिति की रिपोर्ट से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
राज्य और पुलिस की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता (एजी) ने अदालत को बताया कि रिपोर्ट में हुए खुलासे के संदर्भ में दर्ज 26 प्राथमिकी में से पांच में शिकायतकर्ता जांच में सहयोग से इनकार कर रहे हैं और तीन में शिकायर्ताओं ने कहा कि उनके बयान सच नहीं है।
रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर कई अभिनेताओं और निर्देशकों के खिलाफ यौन उत्पीड़न और शोषण के आरोप सामने आने के बाद राज्य सरकार ने 25 अगस्त को उनकी जांच के लिए सात सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था।
बाद में उच्च न्यायालय के निर्देश पर एसआईटी को रिपोर्ट की पूरी असंपादित प्रति सौंप दी गई।
महाधिवक्ता ने अदालत को यह भी बताया कि राज्य फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न के मुद्दों से निपटने के लिए एक मसौदा कानून तैयार कर रहा है और पीठ ने कहा कि वह इसे भी ध्यान में रखेगी।
इस बीच, इस मामले में एक पक्षकार वूमेन इन सिनेमा कलेक्टिव (डब्ल्यूसीसी) संगठन ने अदालत को बताया कि वह एक नयी याचिका दायर करेगा।
इस पर संज्ञान लेते हुए अदालत ने कहा कि सभी सुझावों का स्वागत है।
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि अदालत कानून का मसौदा तैयार नहीं करेगी और केवल सुझाव देगी। इन टिप्पणियों के साथ पीठ ने मामले को 21 नवंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
न्यायमूर्ति हेमा समिति का गठन केरल सरकार द्वारा 2017 के अभिनेत्री हमला मामले और इसकी रिपोर्ट में मलयालम सिनेमा उद्योग में महिलाओं के उत्पीड़न और शोषण के मामलों का खुलासा होने के बाद किया गया था।