मुंबई, 28 नवंबर (भाषा) दिग्गज अभिनेता-फिल्म निर्माता अमोल पालेकर ने कहा कि उन्होंने हमेशा अपनी शर्तों पर जीवन जिया और यह चीज हिंदी सिनेमा में आम आदमी की उनकी भूमिकाओं से झलकती है।
पालेकर ने अपनी किताब के जरिए अपने जीवन और कलात्मक सफर को याद किया है। इस किताब का शीर्षक मराठी में ‘ऐवाज’ और अंग्रेजी में ‘व्यूफाइंडर’ है।
यह पुस्तक उनके जीवन की एक गहरी झलक है, जिसमें सिनेमा में उनकी अप्रत्याशित यात्रा भी शामिल है। उन्हें 70 और 80 के दशक की ‘रजनीगंधा’, ‘छोटी सी बात’, ‘चितचोर’, ‘गोलमाल’, ‘नरम गरम’ और अन्य फिल्मों से खासी पहचान मिली थी।
इसी महीने जीवन के 80 वर्ष पूरे करने वाले पालेकर ने एक साक्षात्कार में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं वैसा हीरो नहीं था जैसे कि अक्सर फिल्मों में देखने को मिलते हैं और यही बात लोगों को पसंद आई। लोगों को पसंद आया कि मैं धर्मेंद्र, ‘ही-मैन’ नहीं था, मैं ‘एंग्री यंग मैन’ (अमिताभ बच्चन) या रोमांटिक हीरो राजेश खन्ना नहीं था। मैं जितेंद्र की तरह अच्छा डांस भी नहीं कर सकता था। मेरा उन जैसा न होना ही लोगों को पसंद आया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं चाहता तो अपनी शर्तों पर ऐसा सकता था लेकिन नहीं किया। यह कैसे हुआ मुझे नहीं पता। मैं इसके लिए जीवन का आभारी हूं।’’
अभिनेता ने कहा कि उनकी एक दुविधा यह थी कि स्टार की छवि से कैसे निकलें।
उन्होंने कहा, ‘‘जब आप एक स्टार बन जाते हैं तो आपकी एक छवि भी बन जाती है। मैं ऐसा व्यक्ति था जो हमेशा कुछ नया और अलग करने की कोशिश करना चाहता था। ऐसा करने के लिए आप स्टार की छवि में बंधे नहीं रह सकते।’’