एफआईआई के रुख, वैश्विक रुझान से तय होंगे शेयर बाजारों में रुझान: विश्लेषक

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नयी दिल्ली,  विदेशी निवेशकों (एफआईआई) की व्यापारिक गतिविधियां और वैश्विक रुझान आगामी शेयर बाजारों के लिए प्रमुख प्रेरक कारक होंगे।

प्रमुख शेयर बाजार बीएसई और एनएसई ने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को कारोबारी अवकाश घोषित किया है। 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुनाव 20 नवंबर को होंगे और मतगणना 23 नवंबर को होगी।

स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौर ने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के कारण 20 नवंबर दिन बुधवार को भारतीय शेयर बाजार बंद रहेगा। चुनाव परिणाम, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड, डॉलर सूचकांक प्रदर्शन, अमेरिकी बेरोजगारी दावे, नवीनतम विनिर्माण और सेवा पीएमआई आंकड़े और जापान के मुद्रास्फीति आंकड़ों सहित प्रमुख वैश्विक आर्थिक संकेतक बाजार की दिशा को आकार देने में महत्वपूर्ण होंगे।”

उन्होंने कहा, “अमेरिका में बॉन्ड पर उच्च प्रतिफल और चुनाव के बाद डॉलर में मजबूती ने भारत जैसे उभरते बाजारों को प्रभावित किया है, और एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) गतिविधि एक प्रमुख कारक बनी हुई है, जो निकट भविष्य में भारतीय इक्विटी को प्रभावित कर रही है।”

विशेषज्ञों ने कहा कि वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड की चाल और रुपया-डॉलर का रुख भी बाजार में कारोबार को प्रभावित करेगा।

रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष-शोध अजीत मिश्रा ने कहा, “यह सप्ताह भी छुट्टी के कारण छोटा है, और आय सत्र के लगभग समाप्त हो जाने के कारण, ध्यान फिर से एफआईआई प्रवाह पर चला जाएगा। विदेशी संस्थागत निवेशक पिछले डेढ़ महीने से लगातार बिकवाली कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, व्यापारी वैश्विक बाजार के रुझानों पर कड़ी नज़र रखेंगे।”

पिछले सप्ताह बीएसई बेंचमार्क सूचकांक सेंसेक्स में 1,906.01 अंक या 2.39 प्रतिशत की गिरावट आई।

शुक्रवार को गुरु नानक जयंती के अवसर पर शेयर बाजार बंद रहे।

बीएसई बेंचमार्क सूचकांक अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से 8,397.94 अंक या 9.76 प्रतिशत की भारी गिरावट के साथ बंद हुआ और निफ्टी भी रिकॉर्ड उच्च स्तर से 2,744.65 अंक या 10.44 प्रतिशत नीचे आ गया है।

इस साल 27 सितंबर को सेंसेक्स 85,978.25 के अपने रिकॉर्ड शिखर पर पहुंचा था और उसी दिन एनएसई निफ्टी भी 26,277.35 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था। बेंचमार्क सूचकांकों में तेज गिरावट विदेशी निवेशकों के घरेलू बाजार से भागने, दूसरी तिमाही की कमजोर आय और इक्विटी के उच्च मूल्यांकन के कारण हुई थी।