नयी दिल्ली, 10 नवंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्रिमंडल जल्द ही संशोधित झरिया मास्टर प्लान (जेएमपी) के प्रस्ताव को मंजूरी दे सकता है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
झारखंड के धनबाद जिले में आग, धंसाव और पुनर्वास से निपटने के लिए झरिया मास्टर प्लान को केंद्र ने अगस्त 2009 में मंजूरी दी थी।
इस योजना को दो साल में शुरू करके अगले 10 साल में लागू किया जाना था और इस पर 7,112.11 करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान था। योजना की समयसीमा 2021 में खत्म हो गई।
सूत्रों के मुताबिक संशोधित अवधि के साथ संशोधित जेएमपी का प्रस्ताव जल्द ही मंत्रिमंडल द्वारा पारित किए जाने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि पुनर्वास के पहले चरण में उन स्थानों को प्राथमिकता दी जाएगी, जहां मानव जीवन को तत्काल खतरा है और उसके बाद कम जोखिम वाले और कम खतरनाक स्थानों का पुनर्वास किया जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि संशोधित जेएमपी के तहत कोल इंडिया (सीआईएल) प्रति वर्ष 500 करोड़ रुपये की सहायता देगी। उन्होंने बताया कि सीआईएल और इसकी सहायक कंपनी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) आग लगने की घटनाओं से निपटेगी।
कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी ने सोमवार को एक समारोह के दौरान संवाददाताओं से कहा था, ”झरिया मास्टर प्लान… पिछले दो वर्षों से लंबित है। इस विषय पर प्रधानमंत्री ने व्यापक कार्ययोजना बनाने को कहा है। मैं खुद झरिया खनन क्षेत्र गया हूं और वहां लोगों और जनप्रतिनिधियों से मिला हूं। हम इस पर कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं और जल्द ही कैबिनेट नोट अंतिम रूप दिया जाएगा।”
मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद जेएमपी के क्रियान्वयन पर काम शुरू हो जाएगा।
बीसीसीएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक समीरन दत्ता ने पहले कहा था कि योजना का पहला चरण पूरा हो चुका है, जिसमें लगभग 2,800 परिवारों को सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया गया है। आगे क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कमी हुई है और पुनर्वास के लिए 33,000 घर पहले ही बनाए जा चुके हैं।