इस्लामाबाद में एससीओ सम्मेलन: विदेश मंत्री जयशंकर ने आतंकवाद, उग्रवाद पर चिंता जताई
Focus News 16 October 2024इस्लामाबाद, 16 अक्टूबर (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को परोक्ष संदेश देते हुए बुधवार को कहा कि यदि सीमा पार की गतिविधियां आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद पर आधारित होंगी तो व्यापार, ऊर्जा और संपर्क सुविधा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की संभावना नहीं है।
जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सहयोग आपसी सम्मान और समानता पर आधारित होना चाहिए तथा इसमें राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दी जानी चाहिए।
विदेश मंत्री ने इस्लामाबाद में आयोजित एससीओ देशों के शासन प्रमुखों की परिषद (सीएचजी) के शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। इस सम्मेलन की अध्यक्षता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने की।
जयशंकर ने कहा कि सहयोग के लिए भरोसा महत्वपूर्ण है और यदि समूह मिलकर आगे बढ़ता है तो एससीओ सदस्य देशों को काफी लाभ हो सकता है।
उन्होंने कहा कि सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभुता की समानता पर आधारित होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘इसमें क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दी जानी चाहिए। इसे वास्तविक साझेदारी पर आधारित होना चाहिए, न कि एकतरफा एजेंडे पर। अगर हम वैश्विक व्यवस्थाओं, खासकर व्यापार और पारगमन के क्षेत्रों में अपने फायदे के हिसाब से चयन करेंगे तो यह (सहयोग) आगे नहीं बढ़ सकता।’’
उनकी इस टिप्पणी को अहम मुद्दों पर चीन के आक्रामक व्यवहार के परोक्ष संदर्भ के रूप में देखा जा रहा है।
जयशंकर ने कहा, ‘‘लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे प्रयास तभी आगे बढ़ेंगे जब चार्टर के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दृढ़ रहेगी। यह स्वत: सिद्ध है कि विकास एवं वृद्धि के लिए शांति एवं स्थिरता अनिवार्य है। जैसा कि चार्टर में स्पष्ट किया गया है, इसका अर्थ है- ‘‘तीन बुराइयों’’ का मुकाबला करने में दृढ़ रहना और समझौता नहीं करना।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि सीमा पार की गतिविधियां आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से जुड़ी हैं तो उनके साथ-साथ व्यापार, ऊर्जा प्रवाह, संपर्क और लोगों के बीच आपसी लेन-देन को बढ़ावा मिलने की संभावना नहीं है।’’
विदेश मंत्री ने एससीओ के प्रत्येक सदस्य राष्ट्र द्वारा समूह के चार्टर का सख्ती से पालन किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया तथा आपसी विश्वास, मित्रता और अच्छे पड़ोसी के भाव को मजबूत करने के इसके सार पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि भरोसे की कमी है या पर्याप्त सहयोग नहीं है, यदि मित्रता कम हो गई है और अच्छे पड़ोसी की भावना गायब है तो निश्चित रूप से आत्मावलोकन करने और समाधान खोजने की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह, जब हम चार्टर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पूरी ईमानदारी से पुष्टि करें, तभी हम उस सहयोग और एकीकरण के उन लाभों को पूरी तरह से हासिल कर सकते हैं जिनकी इसमें परिकल्पना की गई है।’’
जयशंकर ने विभिन्न वैश्विक चुनौतियों का भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, ‘‘हम ऐसे समय में सम्मेलन कर रहे हैं जब दुनिया कठिनाई के दौर से गुजर रही है। दो बड़े संघर्ष जारी हैं, जिनका पूरे विश्व पर असर पड़ रहा है। कोविड महामारी ने विकासशील देशों में कई लोगों को बुरी तरह तबाह कर दिया है।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘जलवायु की चरम परिस्थितियों से लेकर आपूर्ति श्रृंखला संबंधी अनिश्चितताएं और वित्तीय अस्थिरता तक विभिन्न प्रकार के व्यवधान विकास को प्रभावित कर रहे हैं।’’
जयशंकर ने ऋण की चुनौती को भी गंभीर चिंता बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी में बहुत संभावनाएं हैं, लेकिन यह नयी चिंताओं को भी जन्म देती है।’’