नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को वैश्विक डिजिटल रूपरेखा तैयार करने की जोरदार वकालत की, जिसमें प्रौद्योगिकी के नैतिक उपयोग के लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए हों।
यहां अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (डब्ल्यूटीएसए) और इंडिया मोबाइल कांग्रेस के उद्घाटन के अवसर पर उन्होंने कहा कि जिस तरह विमानन क्षेत्र के लिए वैश्विक समुदाय ने एक व्यापक रूपरेखा तैयार की है, उसी तरह डिजिटल दुनिया को भी नियमों तथा विनियमों की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक संस्थाओं को एक साथ मिलकर यह तय करना चाहिए कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
मोदी ने सुरक्षा, सम्मान और समानता को केंद्र में रखते हुए कृत्रिम मेधा (एआई) के नैतिक इस्तेमाल पर भी जोर दिया।
भारत के अनुभव की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि तेजी से क्रियान्वयन के बाद अब देश भर में अधिकतर स्थानों पर 5जी दूरसंचार सेवाएं उपलब्ध हैं और 6जी पर काम पहले ही शुरू हो चुका है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दशक में भारत मोबाइल फोन का आयातक से निर्यातक बन गया है। उसने पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से आठ गुना अधिक दूरी का ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क बिछाया है।
उन्होंने कहा कि 2014 में प्रस्तुत भारत का डिजिटल विजन चार स्तंभों…. उपकरणों को सस्ता बनाना, सभी तक संपर्क सुविधा देना, किफायती डेटा और डिजिटल-फर्स्ट पर आधारित है।
मोदी ने कहा,‘‘ हमने डिजिटल संपर्क को अंतिम छोर तक आपूर्ति के लिए एक प्रभावी साधन बना दिया ’’
उन्होंने कहा कि भारत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के सफल निर्माण के अपने अनुभव को शेष विश्व के साथ साझा करने का इच्छुक है।