उमर ने उपमुख्यमंत्री के रूप में जम्मू के चौधरी को चुना, कहा – वह समावेशी सरकार चाहते हैं

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श्रीनगर, 16 अक्टूबर (भाषा) जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को पार्टी नेता सुरिंदर चौधरी को उपमुख्यमंत्री चुना। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने नौशेरा से चौधरी को इस पद के लिए इसलिए चुना क्योंकि वह क्षेत्र को लोगों को प्रतिनिधित्व देने के साथ ही अपनी सरकार को समावेशी बनाना चाहते हैं।

नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘हमारा प्रयास सभी को साथ लेकर चलना होगा।’’

अब्दुल्ला के साथ पांच मंत्रियों – सकीना मसूद (इटू), जावेद डार, जावेद राणा, सुरिंदर चौधरी और सतीश शर्मा ने भी पद की शपथ ली।

अब्दुल्ला ने कहा कि तीन पद खाली हैं और ‘‘उन्हें भी धीरे धीरे भर दिया जाएगा।’’

उन्होंने कहा कि चौधरी को उपमुख्यमंत्री के रूप में इसलिए चुना गया ताकि जम्मू के लोग खुद को सरकार से अलग थलग महसूस न करें। जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में कड़ी टक्कर देते हुए बड़ी प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जम्मू कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रवींद्र रैना को नौशेरा में चौधरी ने 7,819 मतों से हराया था। चौधरी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के पूर्व नेता हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कहा था कि हम जम्मू को यह महसूस नहीं होने देंगे कि इस सरकार में उनकी आवाज नहीं है, उनका कोई प्रतिनिधि नहीं है। मैंने जम्मू से उपमुख्यमंत्री इसलिए चुना है ताकि जम्मू के लोगों को लगे कि यह सरकार जितनी बाकियों की है, उतनी ही उनकी भी है।’’

2014 के विधानसभा चुनाव में रैना ने 10,000 मतों के अंतर से चौधरी को हराकर नौशेरा सीट से जीत दर्ज की थी। तब चौधरी ने पीडीपी की टिकट पर चुनाव लड़ा था।

चौधरी 2022 में पीडीपी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे, उसके बाद पिछले साल जुलाई में वह पार्टी छोड़कर नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल हो गए।

वर्ष 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख में विभाजित करने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में यह पहली चुनी हुई सरकार है।

हाल में हुए चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 90 में से 42 सीटें जीतीं, जबकि गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को छह सीटें मिलीं। चुनाव पूर्व गठबंधन के दोनों सहयोगी दलों के पास 95 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत है जबकि पांच सदस्यों को उपराज्यपाल द्वारा नामित किया जाना है।

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