प्रदूषण की चपेट में राष्ट्रीय राजधानी

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 राष्ट्रीय राजधानी प्रदूषण की चपेट में है और दिल्ली सरकार आरोप-प्रत्यारोपों में लगी है। विगत कई वर्षों से राष्ट्रीय राजधानी जल संकट, वायु प्रदूषण, यमुना नदी की बदहाली एवं भिन्न-भिन्न रूपों में भ्रष्टाचार जैसी भयंकर समस्याओं से जूझ रही है। शासन और सत्ता के शीर्ष पर बैठे जनप्रतिनिधि नए-नए प्रकार के भ्रष्टाचारों में लंबे समय तक जेल की हवा खा चुके हैं और विगत कुछ दिनों से जमानत पर रिहा होकर फिर से आगामी चुनाव की ताल ठोक रहे हैं। क्या ये सभी लोग दिल्ली की बदहाली के लिए जिम्मेदार नहीं है? क्या लगातार केंद्र सरकार और दिल्ली के एलजी पर दोष मढ़ने का षड्यंत्र अब सबके सामने नहीं है?

 

ध्यातव्य है कि पिछले कई वर्षों से दिल्ली में यमुना की स्थिति व वायु की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष में कुछ दिन ही सांस लेने लायक हवा रहती है। हाल ही का एयर क्वालिटी इंडेक्स गंभीर श्रेणी में है। जो न केवल चिंताजनक है अपितु जीवन के लिए भी खतरा बन चुका है। दोष पराली के सिर मढ़ दिया जाता है लेकिन क्या पराली इतनी बड़ी समस्या है कि उसका समुचित निदान न किया जा सके? दिल्ली में आजीविका के लिए आए और महंगे आवास लेकर रहने वाले लोगों का क्या कसूर है? क्या यह उनके जीवन के अधिकार के साथ खिलवाड़ नहीं है?

 

 दिल्ली के सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्रों में आनंद विहार का एयर क्वालिटी इंडेक्स 439, मुंडका 340, द्वारका 313, शादीपुर 279,वजीरपुर 295 के साथ नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम आदि की स्थिति भी बदतर है। दिल्ली के प्रदूषण के मूल में जहां एक ओर पराली का धुआं है तो वहीं दूसरी ओर फैक्ट्रियों का धुआं, वाहनों का धुआं और धूल आदि भी बड़े कारक हैं। लेकिन प्रदूषण फैलाने वालों के ऊपर कार्यवाही क्या हुई अथवा क्यों नहीं हुई? भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के आंकड़ों के अनुसार 6 राज्यों में प्रणाली जलाने की कुल 385 घटनाएं हुई हैं, जिसमें पंजाब में 99, हरियाणा में 14, उत्तर प्रदेश में 59, दिल्ली में 11,राजस्थान में 100 व मध्यप्रदेश में 112 मामले बताए गए हैं। लेकिन हाल ही में समाचार पत्रों में विगत एक महीने में पराली जलाने के 2700 मामलों का समाचार प्रकाशित हुआ है। यहां यह भी समझने की आवश्यकता है कि पराली जलाने की ये घटनाएं न तो पहली बार हैं और न ही ये आंकड़े समुचित हैं। विगत कई वर्षों की घटनाओं से सीख लेकर क्या तैयारी की और क्यों नहीं की?

 

 दिल्ली में 2764 निर्माण स्थल चिन्हित किए गए हैं, लेकिन क्या ये आंकड़े भी समुचित हैं? दिल्ली में हजारों स्थानों पर भिन्न-भिन्न रूपों में निर्माण कार्य चल रहे हैं। जहां से हवा में प्रदूषक सम्मिलित होते हैं। दिल्ली में प्रदूषण जीवन पर भारी पड़ता जा रहा है। 15 इलाके रेड जोन में पहुंच चुके हैं। ग्रेडड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी ग्रेप के पहले चरण में कई पाबंदियां लगा दी गई हैं लेकिन उसके बाद भी उल्लंघन जारी है। शासन-प्रशासन नियमों को लागू करने में पूरी तरह असफल हो चुका है। प्रदूषण के कारण खांसी, जुकाम, बुखार, त्वचा रोग एवं श्वास रोग लगातार बढ़ रहे हैं। यमुना नदी में झाग और प्रदूषकों की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। दिल्ली के छोटे बड़े सैकड़ों नाले सीधे यमुना में गिर रहे हैं। आवश्यकतानुसार सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगाए हैं और जो पुराने हैं वे या तो बंद पड़े हैं या बहुत कम मात्रा में शोधन कर रहे हैं। इसके लिए दोषी कौन है?


      भ्रष्टाचार के आरोप में लंबे समय तक जेल में रहे दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और कई अन्य वरिष्ठ नेता आजकल फिर से 70 सीटें जीतने का संकल्प लेकर विजय यात्रा पर निकल चुके हैं। दूसरी ओर वर्तमान में दिल्ली की मुख्यमंत्री भाजपा शासित राज्यों पर दिल्ली में प्रदूषण बढ़ाने का आरोप लगा रही हैं। उनके अनुसार- उत्तर प्रदेश व हरियाणा की डीजल बसें आने से आनंद विहार में प्रदूषण बढ़ रहा है। आनंद विहार प्रदूषण के मामले में हॉटस्पॉट है क्योंकि यहां विभिन्न राज्यों से बसें आती हैं.यमुना की बदहाली के लिए भी भाजपा की हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार जिम्मेदार हैं। कुल मिलाकर दिल्ली में आने वाली प्रत्येक परेशानी के लिए केंद्र सरकार और भाजपा शासित प्रदेश जिम्मेदार हैं। हास्यास्पद यह भी है कि यमुना में पानी अधिक आए तो हरियाणा जिम्मेदार,कम आए तो भी हरियाणा जिम्मेदार, वायु प्रदूषण बढ़े तो भी हरियाणा जिम्मेदार। लेकिन क्या दिल्ली सरकार वास्तव में एक भी काम दिल्ली की जनता के हित में अथवा प्रदूषण जैसी समस्याओं से निपटने के लिए ठीक प्रकार से कर रही है?

 

 विचारणीय यह भी है कि क्या आप अपना नाकारापन छिपाने के लिए हरियाणा और उत्तर प्रदेश पर आरोप लगाकर पल्ला झाड़ सकते हैं? क्या आज यह आवश्यक नहीं है कि दिल्ली की सत्ता में बैठे लोग आरोप-प्रत्यारोप छोड़कर राष्ट्रीय राजधानी को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए समुचित योजना बनाकर उसे लागू करें। आज यह भी समझने की जरूरत है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली देश का गौरव है। भारत सहित विश्व के अनेक देशों के लोग भिन्न-भिन्न कार्यों के लिए दिल्ली में आते हैं। दिल्ली का प्रदूषण और यहां की समस्याओं से वे भी न केवल  प्रभावित होते हैं अपितु दिल्ली की खराब छवि भी लेकर जाते हैं।