भारत में 2035 तक हर दिन जुड़ेंगी 12,000 से अधिक कारें: आईईए

नयी दिल्ली, 16 अक्टूबर (भाषा) अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने कहा है कि अगले दशक में भारत प्रतिदिन 12,000 से अधिक कारें जोड़ेगा, दक्षिण अफ्रीका में निर्मित जगह के बराबर तैयार जगह का विस्तार करेगा और इसके एयर कंडीशनर पूरे मेक्सिको में बिजली खपत की तुलना में अधिक बिजली की खपत करेंगे।

आईईए ने विश्व ऊर्जा परिदृश्य, 2024 में कहा कि 2035 तक तेल और गैस से लेकर कोयला, बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा तक सभी प्रकार की ऊर्जा की मांग में वृद्धि होने का अनुमान है। इससे यह वैश्विक स्तर पर ऊर्जा मांग के लिए विकास का इंजन बन जाएगा।

दुनिया के तीसरे सबसे बड़े कच्चा तेल उपभोक्ता और आयातक देश भारत में 2035 तक तेल की मांग लगभग 20 लाख बैरल प्रतिदिन बढ़ जाएगी और यह दुनिया में तेल की मांग में वृद्धि का मुख्य स्रोत बन जाएगा।

आईईए के अनुमान के अनुसार, भारत 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।

यह उत्पादन में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2023 में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था था।

भारत 2023 में चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया। इसकी प्रजनन दर, प्रतिस्थापन स्तर से नीचे आ गई।

आईईए ने कहा, ‘‘जनसंख्या का आकार और सभी क्षेत्रों से बढ़ती मांग बढ़ने का मतलब है कि अगले दशक में भारत में किसी भी अन्य देश की तुलना में ऊर्जा मांग में वृद्धि अधिक होने का अनुमान है।

घोषित नीति परिदृश्य (एसटीईपीएस) के आधार पर भारत 2035 तक अपनी सड़कों पर हर दिन 12,000 से अधिक कारें जोड़ने की राह पर है। निर्मित स्थान में सालाना एक अरब वर्गमीटर से अधिक की वृद्धि होने वाली है। यह दक्षिण अफ्रीका में वर्तमान में कुल निर्मित क्षेत्र से अधिक है।

आईईए के अनुसार, 2035 तक, लोहा और इस्पात उत्पादन 70 प्रतिशत बढ़ने के रास्ते पर है। सीमेंट उत्पादन में लगभग 55 प्रतिशत की वृद्धि तय है और एयर कंडीशनर का स्टॉक 4.5 गुना से अधिक बढ़ने का अनुमान है, जिसके परिणामस्वरूप 2035 में एयर कंडीशनर से बिजली की मांग उस समय मेक्सिको की कुल अपेक्षित बिजली खपत से अधिक होगी।

देश में 2035 तक तेल की मांग बढ़कर 71 लाख बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) हो जाने का अनुमान है, जो अभी 52 लाख बीपीडी है। कच्चे तेल को पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में बदलने की रिफाइनरियों की क्षमता 2035 तक 58 लाख बीपीडी से बढ़कर 71 लाख बीपीडी हो जाएगी।

प्राकृतिक गैस की मांग 2050 में 64 अरब घनमीटर से बढ़कर 172 अरब घनमीटर हो जाएगी। हालांकि, कोयला उत्पादन 2023 में 72.1 करोड़ टन से घटकर 2050 में 64.5 करोड़ टन रह जाने का अनुमान है।

आईईए के अनुसार, 2035 तक भारत में कुल ऊर्जा मांग में लगभग 35 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है और बिजली उत्पादन क्षमता उस समय तक लगभग तीन गुना होकर 1,400 गीगावाट (एक गीगावाट बराबर 1,000 मेगावाट) हो जाएगी।

आने वाले दशकों में कोयला भारत में ऊर्जा स्रोतों में एक मजबूत स्थिति बनाये रखेगा। शुद्ध रूप से यानी पुराने पड़ चुके कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को हटाते हुए 2030 तक लगभग 60 गीगावाट कोयला आधारित क्षमता जोड़े जाने का अनुमान है। वहीं कोयले से बिजली उत्पादन 15 प्रतिशत से अधिक बढ़ने की संभावना है।

आईईए के अनुसार, ‘‘आगे की स्थिति को देखते हुए, भारत के समक्ष ऊर्जा के मोर्चे पर कई चुनौतियां हैं। इसमें व्यापक स्तर पर खाना पकाने के स्वच्छ ईंधन की पहुंच सुनिश्चित करना, जीवाश्म ईंधन (कोयला, कच्चा तेल आदि) आयात निर्भरता को कम करना, बिजली क्षेत्र की विश्वसनीयता को बढ़ावा देना और वितरण कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन को बेहतर बनाना, वायु प्रदूषण के उच्चस्तर निपटना तथा जलवायु परिवर्तन के कारण भीषण गर्मी और बाढ़ के प्रभावों का प्रबंधन शामिल है।’’