न्यायमूर्ति याह्या अफरीदी ने पाकिस्तान के 30वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली

इस्लामाबाद, 26 अक्टूबर (भाषा) न्यायमूर्ति याह्या अफरीदी ने पाकिस्तान के 30वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शनिवार को शपथ ली।

अफरीदी ने शीर्ष सरकारी अधिकारियों की उपस्थिति में आयोजित एक समारोह में काजी फैज ईसा के स्थान पर शपथ ली। ईसा 65 वर्ष की आयु में शुक्रवार को सेवानिवृत्त हुए हैं।

राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने पाकिस्तान के संविधान के तहत अफरीदी को देश के नये प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई।

राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, कैबिनेट मंत्री, सेवा प्रमुख, अन्य अधिकारी और प्रमुख नागरिक शामिल हुए।

न्यायमूर्ति अफरीदी को हाल ही में पारित 26वें संविधान संशोधन के बाद गठित एक विशेष संसदीय समिति (एसपीसी) द्वारा प्रधान न्यायाधीश के रूप में नामित किया गया था। इस संविधान संशोधन से पाकिस्तान की न्यायपालिका में कई बदलाव हुए थे।

एसपीसी ने पिछले नियम के विपरीत नियुक्ति का निर्णय लेकर अफरीदी को प्रधान न्यायाधीश पद के लिए नामित किया। पुराने नियम के तहत, जो न्यायाधीश सबसे वरिष्ठ होता था वही देश का प्रधान न्यायाधीश बनता था। ऐसे में वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मंसूर अली शाह को प्रधान न्यायाधीश बनना था।

अफरीदी को जून 2018 में उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत किया गया था। उन्होंने दिसंबर 2016 में पेशावर उच्च न्यायालय (पीएचसी) के सबसे युवा मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी।

याह्या अफरीदी का 23 जनवरी 1965 को जन्म हुआ था और वह कोहाट फ्रंटियर क्षेत्र से हैं।

अफरीदी को 15 मार्च 2010 को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया था तथा तत्पश्चात 15 मार्च 2012 को उन्हें उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।

वह 1991 में उच्च न्यायालय और 2004 में सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता के रूप में नामांकित हुए।

प्रधान न्यायाधीश अफरीदी ने 1988 में पंजाब विश्वविद्यालय के विधि कॉलेज से विधि स्नातक (बीए एलएलबी) और 1990 में ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के जीसस कॉलेज से एलएलएम किया था।

प्रधान न्यायाधीश अफरीदी को कई संवैधानिक और राजनीतिक मामलों का सामना करना पड़ेगा, जिन पर उन्हें आने वाले सप्ताहों और महीनों में निर्णय लेना होगा।