कूड़े कचरे की समस्या का समाधान है जरूरी

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 वर्तमान परिवेश में लोगों की जीवन शैली में हो रहे निरंतर विकास ने कूड़े कचरे की समस्या को विकराल समस्या के रूप में हमारे समक्ष उपस्थित किया है। यह समस्या केवल हमारे देश की ही नहीं बल्कि अन्य देशों के लिए भी प्रमुख समस्याओं में से एक बन चुकी है। इस समस्या ने केवल पर्यावरण को ही दूषित नहीं किया है बल्कि इसकी चपेट में हम लोगों के साथ बेजुबान जीव-जंतुओं को भी  ले लिया है जो कि गंभीर और चिंता का विषय है।
इसके साथ ही इस कड़वी वास्तविकता में भी कोई दो राय नहीं है कि अन्य समस्याओं की भांति इस समस्या को भी हम लोगों ने ही उत्पन्न किया है। अफसोस। हमारी लापरवाही और  जागरुकता के अभाव ने कूड़े-कचरे की समस्या को गंभीर अवस्था में ला खड़ा किया है, गांव देहात  के शहर या महानगरों के गली-नुक्कड़, चौराहे ही नहीं बल्कि तालाब, कुण्ड, नदी, नाले आदि सभी कूड़े कचरे से अटे पड़े हैं और उस पर भिनभिनाती मक्खियां और जीवाणु असंख्य  रोगों की उत्पत्ति का कारण बनता है, ऐसा भी नहीं है कि समस्या के समाधान के लिए  सरकार की ओर से प्रयास नहीं किये जा रहे हैं लेकिन जितने किए जा रहे हैं वह पर्याप्त नहीं, वहीं इस समस्या का मूल कारण लोगों का जागरुक न होना भी है क्योंकि जब तक आम जनता इस समस्या के प्रति जागरुक नहीं होगी तब तक इस समस्या का समाधान भी संभव नहीं है, और इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कूड़े  कचरे की समस्या को गंभीर समस्या में परिवर्तित करने में प्लास्टिक के कचरे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, प्लास्टिक जो आदि से अंत तक केवल हानिकारक और सिर्फ हानिकारक होती है यह जानने के उपरांत भी हमारे दैनिक जीवन में इसका बढ़ता प्रयोग किसी से छुपा नहीं है,  वह प्लास्टिक जिसके प्रयोग से कैंसर जैसे भयंकर रोग की संभावना रहती है इससे अवगत होने के उपरांत भी लोग प्लास्टिक का प्रयोग करने से बाज नहीं आते। तो ऐसी अवस्था में क्या किया जाये? पॉलिथिन और प्लास्टिक में आने वाले सामानों की सूची बहुत विस्तृत है जिसका यहां उल्लेख करना व्यर्थ होगा। हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक ने हमारे जीवन में कितनी गहरी पैठ बनाई हुई है, जिससे पूर्णता परित्याग करना किसी भी रूप में संभव नहीं। यह न हमारे नियंत्रण में है और न सरकार के बस में। बस हम लोगों का प्रयास हो सकता है कि हम अपनी जीवन शैली में प्लास्टिक का प्रयोग कम से कम करें, ऐसा करने से भी कुछ सीमा तक इसके दुष्परिणामों से बचा जा सकता है, ऐसा नहीं है कि लोगों को इसके दुष्प्रभावों की जानकारी नहीं है, या जागरुकता का अभाव है। समस्या तो केवल इतनी है कि कोई समस्या को समस्या समझना ही नहीं चहता फिर ऐसी अवस्था में समस्या के समाधान का प्रयास कौन करेगा? अगर समस्या को समस्या समझकर उसके समाधान का प्रयास किया जाता तो आज हमारा देश कचरे की समस्या समस्याओं की गिनती में प्रमुख स्थान न रखता, बहरहाल कूड़ा कचरा हो या प्लास्टिक का कचरा, प्रश्न जब हमारे पर्यावरण के साथ हमारे और जीव जंतुओं के अस्तित्व पर खतरे का हो तो हर हाल में हमें सतर्क और पूर्ण जागरुक होना ही होगा। इसके लिए सर्वप्रथम हमें अपनी मानसिकता को बदलना होगा, केवल घर की साफ-सफाई ही हमारा उद्देश्य नहीं होना चाहिए बल्कि हमें अपने घर के आसपास गली-मोहल्ले, कॉलोनी की साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखना होगा। वहीं इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि लोगों की नजरें बचाकर अंधेरे में कूड़ा सड़कों पर फैंकने के विपरीत कूड़े के निश्चित स्थान पर ही फेंकने का प्रयास करें, वहीं अगर गृहणियां घर में कूड़ा रखने के लिए दो डस्टबीन का प्रबंध करें, जिसमें एक में सूखा कूड़ा और दूसरे में गीला कूड़ा रखे। समय-समय पर घर के अनावश्यक कचरे को रिसाईकल हेतु कबाड़ी को देने का प्रबंध करें। कूड़े की रिसाइक्लिंग करके भी पर्यावरण को सुरक्षित बनाया जा सकता है। वहीं अगर गृहणियां चाहें तो सब्जियां और फलों के छिलकों को अपने घर के अंगन की मिट्टी में या गमलों में मिट्टी में दबा दें तो दो से तीन सप्ताह में व्यर्थ कचरा बहुत अच्छी खाद में परिवर्तित हो जाता है, जो कि पेड़ पौधों के विकास के लिए बहुत उपयोगी होती है। प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग पर्यावरण को दूषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसलिए यहां भी गृहणियों का सहयोग बहुत आवश्यक है  गृहणियां दैनिक प्रयोग की सौदा व सब्जी के लिए जूट या कपड़े से बने थैले का प्रयोग करें तो काफी सीमा तक इसके प्रयोग में कमी आएगी। इसके साथ ही यदि सरकार स्वच्छता एवं कचरा नियन्त्रण को शिक्षा के पाठ्यक्रम में अनिवार्य बना दे, वहीं युवाओं को कूड़े कचरे की समस्या के समाधान में भागीदारी करने की सकारात्मक पहल करे तो भी निश्चित ही सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। प्लास्टिक पर सरकार द्वारा केवल प्रतिबंध लगाना किसी भी कीमत पर समस्या का समाधान नहीं कर सकता। यह समस्या तभी समाप्त होगी जब हम और आप मन से इस समस्या के समाधान का प्रयास करेंगे। हमारे द्वारा हमारे स्तर पर किये गए यह छोटे-छोटे प्रयास कूड़े की विस्तृत समस्या के समाधान में बहुत नहीं तो थोडा योगदान भी बहुत उपयोगी सिद्ध होगा। वहीं सरकार को चाहिए कि वह प्लास्टिक की थैलियों पर अधिक उत्पादन शुल्क वसूले, ऐसा करने से भी इसके बहुत उत्पादन को थोड़ी लगाम लगेगी। वहीं हमारा कत्र्तव्य बनता है कि हम इस समस्या के समाधान में अपने-अपने स्तर पर महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करें और अपने देश को कूड़े कचरे की समस्या से मुक्त कर स्वच्छ पर्यावरण का निर्माण करें।