इस समय ब्याज दर में कटौती असामयिक, जोखिम से भरी होतीः आरबीआई गवर्नर

नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने शुक्रवार को कहा कि नीतिगत ब्याज दर में कटौती के लिए मौजूदा समय ‘असामयिक’ और ‘बहुत जोखिम भरा’ होता क्योंकि खुदरा मुद्रास्फीति अभी भी ऊंचे स्तर पर है।

इसके साथ ही दास ने कहा कि भविष्य का मौद्रिक नीतिगत कदम आगामी आंकड़ों और आर्थिक परिदृश्य पर निर्भर करेगा।

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की इस महीने की शुरुआत में हुई बैठक में नीतिगत दर को यथावत रखने का फैसला किया गया था। हालांकि इसने मौद्रिक नीति के रुख को संशोधित करते हुए ‘तटस्थ’ कर दिया।

अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा छह दिसंबर को की जाएगी।

दास ने ब्लूमबर्ग की तरफ से आयोजित ‘इंडिया क्रेडिट फोरम’ को संबोधित करते हुए कहा कि सितंबर की खुदरा मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर है और आगामी आंकड़े के भी नरम होने से पहले उच्च रहने की आशंका है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा, “जब आपकी मुद्रास्फीति साढ़े पांच प्रतिशत है और अगला आंकड़ा भी ऊंचे स्तर पर रहने का अनुमान है तो इस समय ब्याज दरों में कटौती बहुत असामयिक होगी और यह बहुत जोखिम से भी भरा हो सकता है।”

उन्होंने भविष्य में ब्याज दर में कटौती किए जाने से संबंधित कोई संकेत देने से इनकार करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक आने वाले आंकड़ों और आर्थिक परिदृश्य के आधार पर कदम उठाएगा।

दास ने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक किसी पुलिसकर्मी की तरह काम नहीं करता, बल्कि वह वित्तीय बाजार पर कड़ी नजर रखता है और जरूरत पड़ने पर नियामकीय कदम उठाता है।

उनकी यह टिप्पणी नवी फिनसर्व और तीन अन्य गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) के खिलाफ बृहस्पतिवार को की गई नियामकीय कार्रवाई के एक दिन बाद आई है।

आरबीआई ने सचिन बंसल की अगुवाई वाली नवी फिनसर्व एवं तीन अन्य एनबीएफसी को 21 अक्टूबर की कारोबार समाप्ति से कर्ज मंजूर करने और वितरण से रोकने का आदेश दिया है। यह कदम अत्यधिक मूल्य निर्धारण सहित पर्यवेक्षी चिंताओं के कारण उठाया गया है।

उन्होंने कहा, “हम पुलिसकर्मी नहीं हैं। लेकिन हम नजर रखे हुए हैं। हम बहुत करीबी निगाह रखे हुए हैं। हम कर्ज बाजारों पर निगरानी रखते हैं और जब जरूरी हो जाता है तो हम कार्रवाई करते हैं।”

दास ने मौजूदा समय को भारत का दौर बताते हुए कहा, “भारत की वृद्धि की गाथा अभी भी कायम है। मुद्रास्फीति अब काफी हद तक लक्ष्य सीमा के भीतर आ गई है। इसके कम होने की उम्मीद है।”

उन्होंने वृद्धि और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि आरबीआई इन दोनों के संबंध में समग्र दृष्टिकोण की निगरानी में बहुत सावधानी बरत रहा है।