भारत की विकास यात्रा पर्यावरण संरक्षण से गहराई से जुड़ी हुई है: जयशंकर

नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जैव विविधता की रक्षा करने में जनजातीय समुदायों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि भारत की विकास यात्रा पर्यावरण संरक्षण के साथ गहराई से जुड़ी है।

जयशंकर ने बृहस्पतिवार को जनजातीय कला प्रदर्शनी – ‘साइलेंट कन्वर्सेशन: फ्रॉम द मार्जिन्स टू द सेंटर’ (मौन संवाद: हाशिये से केंद्र तक) के उद्घाटन के अवसर पर यहां ‘इंडिया हैबिटेट सेंटर’ में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए 1973 में शुरू किए गए ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की भी प्रशंसा की।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है, यह सफलता का एक शानदार उदाहरण है। इसके लिए जनजातीय समुदाय बहुत बड़े श्रेय के हकदार हैं।’’

जयशंकर ने कहा कि यह कला सिर्फ रचनात्मकता ही नहीं दिखाती, बल्कि यह एक ‘‘गहरा संदेश देती है, जो प्रकृति और मानवता के बीच की खाई को पाटता है… बाघों से लेकर जनजातीय समुदायों तक।’’

उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी दर्शाती है कि लोग प्रकृति के साथ पूर्ण सामंजस्य स्थापित करके रह सकते हैं और यह इस बात की कहानी है कि कैसे जनजातीय समुदाय ने सहस्राब्दियों से प्रकृति के साथ एक स्थायी रिश्ता बनाए रखा है।

जयशंकर ने अपने संबोधन में ‘अंत्योदय’ के दर्शन की बात की, जिसका अर्थ है- किसी को पीछे न छोड़ना। उन्होंने कहा, ‘‘यह सिर्फ एक नीति नहीं है, यह हमारी सरकार की आत्मा और मार्गदर्शक सिद्धांत है।’’

मंत्री ने कहा, ‘‘हम सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें हाशिए पर पड़े समुदाय, विशेषकर हमारी जनजातीय आबादी के उत्थान पर विशेष ध्यान दिया गया है। लक्षित नीतियों के माध्यम से हम अवसर पैदा कर रहे हैं, अपने जनजातीय युवाओं के लिए स्थायी आजीविका के साथ शिक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं।’’

उन्होंने रेखांकित किया कि ‘आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम’ इन क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय समुदाय के जीवन को आसान बनाने में सहायक रहा है।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘भारत की विकास यात्रा पर्यावरण संरक्षण के साथ बहुत गहराई से जुड़ी हुई है।’’

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि बाघों को कला में दर्शाया गया है और कुछ समुदाय उनकी पूजा भी करते हैं।

जयशंकर ने कहा कि जनजातीय लोगों और पर्यावरण के बीच एक ‘‘भावनात्मक संबंध’’ है और इस प्रदर्शनी को देखने के बाद मन में ‘धरती माता’ का भाव आता है।

उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदायों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों को विदेश में लोगों को उपहार के रूप में प्रस्तुत करना एक विदेश मंत्री के रूप में मेरे लिए ‘‘गर्व की बात’’ होगी।

बाद में उन्होंने प्रदर्शनी की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर भी साझा कीं।

उन्होंने लिखा, ‘‘आज नयी दिल्ली में जनजातीय कला प्रदर्शनी ‘साइलेंट कन्वर्सेशन: फ्रॉम मार्जिन्स टू द सेंटर’ का उद्घाटन करते हुए मुझे बहुत खुशी हुई। पर्यावरण संरक्षण, सततता और प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहने के हमारे सिद्धांतों को प्रदर्शित करने वाली एक सुंदर प्रदर्शनी देखी। हमारे प्रतिभाशाली जनजातीय कलाकारों के असाधारण काम की सराहना करता हूं। जरूर जाएं और उनका समर्थन करें।’’

‘संकला फाउंडेशन’ ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के साथ मिलकर इस प्रदर्शनी का आयोजन किया जिसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और ‘इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस’ ने भी मदद की।