‘एक्जिमा’ विश्व में त्वचा का सबसे सामान्य रोग है, इसका प्रकोप मशीनीकरण, रासायनिक पदार्थ, सौन्दर्य प्रसाधन, सिन्थेटिक कपड़ों के बढ़ते प्रयोग तथा बढ़ते मानसिक तनाव के कारण तेजी से बढ़ रहा है। अनुमान है कि विश्व में करीब दस प्रतिशत आबादी एक्जिमा रोग से ग्रसित है। एक्जिमा रोग एलर्जी का ही प्रतिरूप है जो कि किसी विशेष तत्व के प्रति त्वचा की संवेदनशीलता बढऩे के कारण होता है। यह संक्रमण रोग नहीं है पर खुजली या गंदगी के फलस्वरूप, एक्जिमा ग्रसित त्वचा में संक्रमण हो सकता है। एक्जिमा, शरीर के किसी भी स्थान पर हो सकता है।
एक्यूट एक्जिमा:- इस रोग में अचानक त्वचा के कुछ स्थानों पर लाली और सूजन आती है, और दाने हो जाते हैं, जिनसे पानी निकलता है, कुछ दिन मेंं स्वयं या उपचार से दानों में पपड़ी पड़ जाती है।
क्रोनिक एक्जिमा:- यदि त्वचा के परिवर्तन लंबे समय तक रहते हैं, तो त्वचा का रंग बदलकर गहरा हो जाता है, त्वचा मोटी खुरदुरी, कड़ी हो जाती है। जिसमें दाने प्रकट होते हैं और ठीक होते रहते हैं। त्वचा में केंचुए जैसी खाल निकलती रहती है। दोनों ही तरह के एक्जिमा में खुजली अवश्य होती है।
एक्जिमा के कारण:- एक्जिमा या खाज का रोग किसी विशेष तत्व के विरूद्घ त्वचा की संवेदनशीलता बढऩे के कारण होता है, यह तत्व, त्वचा के बाहर स्पर्श से या आंतरिक रूप से असर कर रोग कर सकते हैं। एक्जिमा करने वाले पदार्थ विविधता लिए अनगिनत होते हैं, यदि माता-पिता को रोग है तो बच्चों के रोग ग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाती है। एक्जिमा के लक्षण और त्वचा में होने वाले बदलाव विभिन्न मरीजों में अलग-अलग हो सकते हैं।
स्पर्श या पदार्थों में सपंर्क के कारण होने वाला एक्जिमा सौन्दर्य प्रसाधन, रसायन, बाल रंगने वाली डाई, चश्में के फ्रेम, लिपिस्टिक, साबुन तेल, क्रीम, कुम – कुम, बिंदी, घड़ी की बेल्ट,टजूते गहने, मलहम, पौधों, वस्त्रों इत्यादि वस्तुओं से एलर्जी होने के फलस्वरूप हो सकता है। यहां तक कि तनाव चिंता, मौसम (ठंडक/गर्मी) भी कुछ लोगों में एक्जिमा कर सकती है या अन्य कारणों से होने वाले एक्जिमा को बढ़ा सकती है।
गृहणियों को साबुन, डिटरजेंट, सफाई करने वाले रसायन के कारण हाथ, पैर, अंगुलियों के पोरों के बीच में एक्जिमा हो सकता है। इस दशा में खाल सूखी और लाल हो जाती है, त्वचा में दरारें पड़ जाती हैं, उनसे द्रव सा पदार्थ निकलता है, खुजली होती है खाल से केंचुल निकलती है।
कुछ मरीजों में एक्जिमा के साथ ही-ज्वर, अरटिकेरिया, (पित्त) शरीर में चकत्ते, दमा, नाक बहना इत्यादि लक्षण भी हो जाते हैं, कुछ अन्य मरीजों में कान बहने या नाक बहने की बीमारी के साथ या बाद में कान या ऊपरी होंठ में एक्जिमा हो जाता है। शिशुओं में कच्छी, लंगोटी पहनने के कारण नितम्बों में एक्जिमा हो सकता है। फैक्टरी, दुकानों में प्रयुक्त विभिन्न रसायनों के कारण भी एक्जिमा हो सकता है। पौधों, धातुओं, रबड़, दवाईयां, रसायन, कपड़़ों के कारण भी खाज रोग हो सकता है।
भोजन में किसी तत्व के सेवन से भी एक्जिमा होने का भय रहता है।
एक्जिमा से बचाव/उपचार:-एक्जिमा ज्यादातर मरीजों में जीवन पर्यन्त का रोग होता है, इसका स्थायी उपचार उपलब्ध नहीं है। अनेक मरीजों में यह बढ़ता, घटता रहता है, कुछ यह स्वयं ही ठीक हो जाता है।
– यदि एक्जिमा रोग ग्रसित है तो कोशिश कर उसके कारण की पहचान कर यथा संभव उसके संपर्क में आने से बचें यदि किसी भोजन से एक्जिमा है तो इस विशेष भोज्य पदार्थ का त्याग करें।
– यदि एक्जिमा कारक पदार्थ जैसे साबुन, डिटरजेंट से एलर्जी का बचाव संभव नहीं है तो सब्जी काटते समय दस्ताने पहने, बर्तन धोते समय भी हाथ में दस्ताने पहने, सूती दस्तानों पर रबर के दस्ताने पहन कर कपड़े धोये।
– एक्यूट एक्जिमा में नमक के पानी से त्वचा को धोये फिर दवा लगायें।
– क्रोनिक एक्जिमा में उपचार के लिए विभिन्न मलहम/क्रीम उपलब्ध है, जिनके लगाने से राहत मिलती है।
– रोग में खुजली को दूर करने के लिये एंटी हिस्टामिन दवाईयां दी जाती है। खुजली या गंदगी के कारण संक्रमण होने पर एंटी बायोटिक दवाईयों का सेवन करें।