अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध बढ़ने से भारत को निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगीः रिपोर्ट

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नयी दिल्ली, चार अक्टूबर (भाषा) अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध बढ़ने से भारत को अपना निर्यात बढ़ने और अमेरिकी कंपनियों से निवेश आकर्षित करने में मदद मिलने की उम्मीद है। एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई गई है।

शोध संस्थान जीटीआरआई ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि अमेरिकी संसद के उच्च सदन सीनेट में पिछले महीने पेश किए गए दो विधेयक चीन के साथ व्यापार युद्ध को तेज कर सकते हैं। इनके पारित होने का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।

सीनेट में रखे गए ‘न तो स्थायी और न ही सामान्य व्यापार संबंध अधिनियम’ (पीएनटीआर) और ‘गैर-बाजार शुल्क चोरी उन्मूलन अधिनियम’ (एएनटीई) का मकसद शुल्क बढ़ाकर और नई व्यापार बाधाएं खड़ी कर चीन की व्यापार प्रथाओं का मुकाबला करना है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि पीएनटीआर अधिनियम का मकसद चीन की अनुकूल व्यापार स्थिति को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना है जबकि एएनटीई अधिनियम चीन तथा रूस जैसी गैर-बाजार अर्थव्यवस्थाओं पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करता है।

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘इन विधेयकों का मकसद अमेरिकी उद्योगों की रक्षा करना है। इसके साथ ही ये भारत जैसे देशों के लिए अपने विनिर्माण क्षेत्र को विकसित करने के अवसर भी उत्पन्न करते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि अमेरिकी कंपनियां चीन के विकल्प तलाश रही हैं, लिहाजा भारत में इलेक्ट्रॉनिक, कपड़ा और विनिर्माण में निवेश बढ़ सकता है जिससे वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में उसकी स्थिति मजबूत होगी।’’

उन्होंने कहा कि इस पृष्ठभूमि में भारत को निर्यात बढ़ाने के मकसद से चीनी कंपनियों और निवेश को आमंत्रित करने के अपने प्रस्ताव पर पुनर्विचार करना चाहिए। चीनी उत्पादों पर उच्च शुल्क भारत के लिए अपने विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है।

उन्होंने कहा कि दोनों विधेयक स्थानीय उद्योगों में वृद्धि की संभावना उत्पन्न करते हैं।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ अमेरिकी कंपनियां के चीन पर अपनी निर्भरता कम करने साथ भारत का विस्तारित विनिर्माण क्षेत्र खासकर इलेक्ट्रॉनिक, कपड़ा तथा अन्य उद्योगों में अधिक निवेश आकर्षित कर सकता है।’’

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