आदिवासी समुदाय की सक्रिय भागीदारी के बिना देश का विकास संभव नहीं: राष्ट्रपति

भिलाई, 26 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आदिवासी समुदायों से प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाने की सीख लेने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा है कि आदिवासी भाई-बहनों की सक्रिय भागीदारी के बिना देश का विकास संभव नहीं है।

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में शनिवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-भिलाई) के तीसरे और चौथे संयुक्त दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने प्रौद्योगिकी के माध्यम से आदिवासी समुदाय के मुद्दों और समस्याओं के समाधान के लिए संस्थान के प्रयासों की सराहना की।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘छत्तीसगढ़ की धरती आदिवासी संस्कृति और परंपराओं से समृद्ध है। जनजातीय समाज के लोग प्रकृति को करीब से समझते हैं और सदियों से पर्यावरण के साथ समन्वय बनाकर जीवन-यापन कर रहे हैं। आदिवासी भाई-बहन, प्राकृतिक जीवन-शैली के माध्यम से संचित किए हुए ज्ञान का भंडार हैं। इनको समझकर और उनकी जीवन-शैली से सीख लेकर, हम भारत के सतत विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘देश का सम्पूर्ण विकास तभी संभव है जब हमारे जनजातीय भाई-बहनों की उसमें सक्रिय भागीदारी हो। यह सराहनीय है कि आईआईटी भिलाई आदिवासी समाज की प्रगति के लिए तकनीकी क्षेत्र में विशेष प्रयास कर रहा है।’’

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आईआईटी भिलाई ‘एग्रीटेक’, ‘हेल्थटेक’ और ‘फिनटेक’ पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित कर रहा है। मेरे संज्ञान में लाया गया है कि आईआईटी भिलाई ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एम्स रायपुर के साथ सहयोग करके मोबाइल फोन ‘एप्स’ बनाए हैं जिससे गांव के लोगों को घर बैठे ही चिकित्सा संबंधी मदद मिल जाती है। इस संस्थान ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (रायपुर) के साथ भी सहयोग करके किसानों के लिए ‘टेक सॉल्यूशन’ बनाए हैं जिससे उन्हें अपने संसाधनों का सही उपयोग करने के लिए मार्गदर्शन और सहायता मिलती है। यह प्रसन्नता की बात है कि छह लाख किसान ‘क्राप डाक्टर’ नामक मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग कर रहे हैं। मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि यह संस्थान सामाजिक रूप से प्रासंगिक अनुसंधान को बढ़ावा दे रहा है। मुझे बताया गया है कि इस संस्थान में राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा से जुड़ी कई परियोजनाएं भी चलाई जा रही हैं।”

उन्होंने कहा, ‘‘यह संस्थान महुआ जैसे लघु वनोपज पर काम करने वाले जनजातीय समुदाय के विकास के लिए भी कार्यरत है। छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज की समस्याओं और मुद्दों के समाधान के लिए भी आईआईटी भिलाई अन्य संबंधित पक्षों के साथ मिलकर काम कर रहा है। मैं ऐसे सभी प्रयासों के लिए आईआईटी भिलाई की टीम की सराहना करती हूं।’’

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘पिछले छह दशकों से देश के आईआईटी के छात्र-छात्राओं ने विश्व स्तर पर विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्रों में अपनी विशेष पहचान बनाई है। अनेक वैश्विक कंपनियों का नेतृत्व करते हुए हमारे आईआईटीयन (आईआईटी से पढ़ाई कर चुके लोग) अपने तकनीकी और विश्लेषणात्मक कौशल से कई मायनों में 21वीं सदी की दुनिया को स्वरूप प्रदान कर रहे हैं। आईआईटी से निकले अनेक छात्रों ने ‘एंटरप्रेन्योरशिप’ का रास्ता चुना है और नए रोजगारों का सृजन किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उद्योग के क्षेत्र में कहा जाता है, ‘नो रिस्क, नो गेन।’ दूसरे शब्दों में, जोखिम से बचने के रवैये के साथ स्वरोजगार में सफलता हासिल नहीं की जा सकती। जोखिम उठाने की प्रवृत्ति को अच्छा माना जाता है। मुझे यकीन है कि आप अपनी जोखिम उठाने की प्रवृत्ति के साथ आगे बढ़ते रहेंगे। आप सभी एआई, ‘ब्लॉकचेन’, ‘क्वांटम कंप्यूटिंग’, साइबर-सुरक्षा और अन्य तकनीकों के बारे में जानते हैं। मुझे विश्वास है कि आप सभी ऐसी नई तकनीकों का विकास करेंगे और दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने की दिशा में काम करेंगे।’’

मुर्मू ने कहा कि पुराने और प्रतिष्ठित आईआईटी नए आईआईटी के साथ मिलकर भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए एक मजबूत ‘इकोसिस्टम’ तैयार करेंगे और यह ‘इकोसिस्टम’ विकसित भारत की पहचान बनेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘आज देश में 23 आईआईटी हैं। भारत सरकार ने देश के सभी क्षेत्रों के युवाओं को तकनीकी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सर्वोच्च गुणवत्ता से युक्त शिक्षा प्रदान करने के लक्ष्य के साथ देश के हर भाग में आईआईटी स्थापित किया है।’’

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, आईआईटी भिलाई के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) के अध्यक्ष कृष्णमूर्ति वेंकटरमन और आईआईटी भिलाई के निदेशक प्रोफेसर राजीव प्रकाश मौजूद थे।