नयी दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेंट स्टीफंस कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के बीच कथित सीट आवंटन विवाद के बीच सोमवार को अल्पसंख्यक श्रेणी के एक छात्र को कक्षाओं में हिस्सा लेने की अनुमति दे दी।
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ एकल न्यायाधीश के उस फैसले के खिलाफ कॉलेज और छात्र द्वारा दायर अपील पर विचार कर रही थी जिसमें छात्र को प्रवेश देने से इनकार कर दिया गया था। छात्र को कक्षाओं में हिस्सा लेने की अनुमति देते हुए अदालत ने आदेश दिया कि इस तरह की सीट का अब और आवंटन नहीं किया जाए।
पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘तथ्य यह है कि एकल न्यायाधीश ने अपने फैसले में पाया है कि सेंट स्टीफंस कॉलेज में 18 छात्र प्रवेश के हकदार थे और अपीलकर्ता छात्र द्वारा चुने गए संयोजन में एक सीट रिक्त है, इसलिए अदालत अंतरिम रूप से उसे अगले आदेश तक कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति देती है।’’
उच्च न्यायालय ने कहा कि कॉलेज अगले आदेश तक अल्पसंख्यक कोटे के तहत सीटों का आवंटन नहीं करेगा। पीठ ने कहा, ‘‘इसे (ऐसी कोई भी खाली सीट) ऐसे ही रहने दें।’’
अदालत एकल न्यायाधीश के 14 अक्टूबर के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि 19 में से 18 छात्र योग्यता के आधार पर कॉलेज में प्रवेश पाने के हकदार हैं।
एकल न्यायाधीश के समक्ष कॉलेज ने डीयू को निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वह अल्पसंख्यक समुदाय के सभी उम्मीदवारों की सूची को मंजूरी देने और इसे संस्थान की वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दे, जिनके प्रवेश को मंजूरी देने के लिए विश्वविद्यालय ने कॉलेज को भेजा था।
सोमवार को छात्र संख्या 19 ने अपील में कहा कि एक अन्य छात्र द्वारा सीट ठुकराए जाने के बाद सीट खाली हो गई थी। इसलिए छात्र ने कला संकाय पाठ्यक्रम में प्रवेश का अनुरोध किया था।
डीयू ने इस अपील पर आपत्ति जताई और कहा कि कॉलेज को इस तरह से सीट बंटवारे में बदलाव करके अपनी आवंटित सीटों में हेराफेरी करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।