चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कजान रवाना हुए

बीजिंग, 22 अक्टूबर (भाषा) चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए मंगलवार को रूस रवाना हुए, जहां उनके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित समूह के सदस्य देशों के नेताओं से मुलाकात करने की संभावना है।

शी तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) समूह के बीच ‘‘अधिक सहयोग’’ और ‘‘ ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए एकजुटता के माध्यम से ताकत हासिल कर एक नये युग की शुरुआत’’ को लेकर चीन का दृष्टिकोण साझा करेंगे।

‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का उपयोग आर्थिक रूप से कम विकसित देशों या विकासशील देशों को संदर्भित करने के लिए आम तौर पर किया जाता है। ये देश खासकर एशिया, अफ्रीका और लातिन अमेरिका में स्थित हैं।

ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स के मूल सदस्य हैं। इसमें अब मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को भी शामिल कर इस समूह का विस्तार किया गया है। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 22 से 24 अक्टूबर तक रूस के शहर कजान में आयोजित किया जाएगा।

सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ ने बताया कि शी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए बीजिंग से रवाना हुए।

उसने बताया कि शी के साथ ‘कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना’ (सीपीसी) की केंद्रीय समिति के राजनीतिक ब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्य और सीपीसी केंद्रीय समिति के ‘जनरल ऑफिस’ के निदेशक साइ ची और सीपीसी केंद्रीय समिति के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य और विदेश मंत्री वांग यी भी रूस रवाना हुए।

चीन ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति चिनफिंग के बीच संभावित मुलाकात के बारे में सोमवार को पूछे गए सवालों को टाल दिया।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने यहां संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था, ‘‘अगर कोई बात सामने आती है तो हम आपको सूचित करेंगे।’’

हालांकि, चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में चार साल से अधिक समय से जारी सैन्य गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता की सोमवार को भारत द्वारा की गई घोषणा के बाद मोदी और शी के बीच बैठक की संभावना प्रबल हो गई है।

प्रधानमंत्री मोदी की कजान यात्रा से पहले विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को नयी दिल्ली में कहा था कि भारत और चीन के वार्ताकार पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त करने को लेकर एक समझौते पर पहुंच गए हैं।

मिस्री द्वारा घोषित समझौते पर बीजिंग ने फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद भारत और चीन के संबंधों में खटास आ गई थी। इस झड़प को पिछले कई दशक में दोनों देशों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष माना जा रहा है।

चीन ने सोमवार को कहा था कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करने वाला ब्रिक्स समूह बहुपक्षवाद को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध एक सकारात्मक और स्थिर शक्ति बना हुआ है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ली जियान ने यहां संवाददाताओं से ब्रिक्स के संबंध में चीन के दृष्टिकोण के बारे में कहा था, ‘‘मैं पुनः पुष्टि करना चाहता हूं कि यह ब्रिक्स सहयोग की शुरुआत का वर्ष है।’’

उन्होंने कहा था कि यह शिखर सम्मेलन ब्रिक्स के विस्तार के बाद पहला शिखर सम्मेलन है, जिसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का व्यापक स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है।

जियान ने कहा था, ‘‘अपनी स्थापना के बाद से ही ब्रिक्स ने खुलेपन, समावेशिता और सभी के लिए लाभकारी सहयोग की भावना का पालन किया है। यह एकजुटता के माध्यम से शक्ति हासिल करने के अपने संस्थापक उद्देश्य के प्रति ईमानदार और बहुपक्षवाद को कायम रखने तथा अंतरराष्ट्रीय मामलों में अच्छाई के लिए एक सकारात्मक एवं स्थिर शक्ति बनने के लिए प्रतिबद्ध रहा है।’’

उन्होंने कहा था कि इस शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति शी चिनफिंग अन्य नेताओं के साथ अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य, ब्रिक्स व्यावहारिक सहयोग, ब्रिक्स तंत्र के विकास एवं पारस्परिक हित के महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श करेंगे।

प्रवक्ता ने कहा था, ‘‘चीन अन्य पक्षों के साथ मिलकर ब्रिक्स सहयोग के स्थिर एवं सतत विकास के वास्ते प्रयास करने तथा ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए एकजुटता के माध्यम से शक्ति प्राप्त करने और संयुक्त रूप से विश्व शांति एवं विकास को बढ़ावा के लिए एक नए युग के द्वार खोलने के लिए तैयार है।’’