बीजिंग, 21 अक्टूबर (भाषा) चीन के विदेश मंत्रालय ने रूस में इस सप्ताह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच संभावित मुलाकात के बारे में सोमवार को पूछे गए सवालों को टाल दिया।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने यहां संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘‘अगर कोई बात सामने आती है तो हम आपको सूचित करेंगे।’’
रूस के कजान में मंगलवार को शुरू हो रहे ब्रिक्स सम्मेलन में मोदी और शी भाग ले रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की कजान यात्रा से पहले विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को नयी दिल्ली में कहा कि भारत और चीन के वार्ताकार पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त करने के बारे में एक समझौते पर पहुंच गए हैं।
मिस्री द्वारा घोषित समझौते पर बीजिंग से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद भारत और चीन के संबंधों में खटास आ गई थी। इस झड़प को पिछले कई दशक में दोनों देशों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष माना जा रहा है।
चीन ने पिछले शुक्रवार को घोषणा की थी कि शी रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जहां वह ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए एकजुटता हासिल करने के वास्ते एक नये युग की शुरुआत को लेकर अन्य पक्षों के साथ मिलकर काम करेंगे।
आमतौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों या विकासशील देशों को ‘ग्लोबल साउथ’ कहा जाता है।
ब्रिक्स में मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल थे। मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को नये सदस्यों के रूप में शामिल किया गया है।
इस वर्ष के शिखर सम्मेलन का विषय ‘‘न्यायपूर्ण वैश्विक विकास एवं सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना’’ है।
मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि शी छोटे-समूह और बड़े-समूह की बैठकों, ‘ब्रिक्स प्लस’ संवाद में भाग लेंगे और अपने महत्वपूर्ण विचार भी रखेंगे।
उन्होंने कहा कि शी अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य, ब्रिक्स व्यावहारिक सहयोग, ब्रिक्स तंत्र के विकास और आपसी हितों के महत्वपूर्ण मुद्दों पर अन्य नेताओं के साथ गहन विचारों का आदान-प्रदान भी करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘चीन अन्य पक्षों के साथ मिलकर ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग के सतत विकास के लिए प्रयास करने को तैयार है, ताकि ग्लोबल साउथ के लिए एकजुटता के माध्यम से ताकत हासिल करने और संयुक्त रूप से विश्व शांति और विकास को बढ़ावा देने के लिए एक नये युग की शुरुआत की जा सके।’’