कोलकाता, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार में बदलाव से विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक कामकाज में कभी बाधा नहीं आनी चाहिए, चाहे वह राज्य स्तर पर हो या राष्ट्रीय स्तर पर।
बोस कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं। वह यहां प्रमाणपत्र और पदक वितरण समारोह के दौरान राज्य द्वारा संचालित उच्च शिक्षण संस्थान के छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक दल आते-जाते रहते हैं, लेकिन विश्वविद्यालयों को सदैव चलते रहना चाहिए।’’ उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कलकत्ता विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों में उत्कृष्टता राजनीतिक नेतृत्व में बदलाव से अप्रभावित रहती है।
बोस ने विश्वविद्यालयों को अकादमिक उत्कृष्टता के मार्ग पर आगे बढ़ाने के लिए “मिशन, दृष्टि और एक्शन” के सामंजस्यपूर्ण मिश्रण के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ज्ञान की तलाश एक सतत प्रक्रिया है। उन्होंने कहा, ‘‘किसी के लिए भी शिक्षा के लिए कोई पूर्ण विराम नहीं होता है।’’
राज्यपाल बोस ने नयी शिक्षा नीति, 2020 के लाभों पर चर्चा की।
बाद में, पत्रकारों से बात करते हुए बोस ने ‘‘भुखमरी की बढ़ती घटनाओं’’ के बारे में चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी घटनाओं को रोकना किसी भी सभ्य समाज और सरकार की जिम्मेदारी है।’’
बोस की टिप्पणी पूर्व मेदिनीपुर जिले के एक प्रवासी मजदूर की मौत के मद्देनजर आई है। श्रमिक की सोमवार को तमिलनाडु की राजधानी में ‘भुखमरी’ के कारण मौत हो गई थी। उन्होंने राज्य के प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर भी चिंता व्यक्त की, जिन्हें आजीविका की तलाश में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
जूनियर चिकित्सकों के आंदोलन के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि राज्य सरकार कोई समाधान निकालेगी। यह राज्य का कर्तव्य है।’’
कार्यवाहक कुलपति शांता दत्त ने कहा कि चूंकि दीक्षांत समारोह आयोजित नहीं किया जा सका, इसलिए विश्वविद्यालय की सर्वोच्च निर्णय लेने वाले ईकाई, सिंडिकेट के निर्णय के बाद प्रमाणपत्र समारोह आयोजित किया गया।