लंदन, ब्रिटेन ने हिंद महासागर में स्थित और लंबे समय से विवादित चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपे जाने के ‘ऐतिहासिक’ समझौते का बृहस्पतिवार को ऐलान किया। समझौते के तहत डिएगो गार्सिया पर ब्रिटेन-अमेरिका का संयुक्त सैन्य अड्डा बरकरार रहेगा।
यह समझौता डिएगो गार्सिया में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ब्रिटेन-अमेरिका सैन्य अड्डे के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए किया गया है।
चागोस, हिंद महासागर में 60 से अधिक द्वीपों का एक द्वीपसमूह है।
ब्रिटेन सरकार ने एक बयान में कहा कि इस समझौते को अमेरिका सहित अंतरराष्ट्रीय साझेदारों का पुरजोर समर्थन प्राप्त है। इस सप्ताह घोषित समझौते के तहत, क्षेत्र की स्थिरता एवं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला डिएगो गार्सिया कम से कम अगले 99 वर्षों तक ब्रिटेन और अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में रहेगा।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा, ‘‘आज का समझौता इस महत्वपूर्ण सैन्य अड्डे के भविष्य को सुरक्षित करता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इससे वैश्विक सुरक्षा में हमारी भूमिका मजबूत होगी, हिंद महासागर को ब्रिटेन के लिए खतरनाक अवैध प्रवास मार्ग के रूप में इस्तेमाल किए जाने की किसी भी संभावना को समाप्त किया जा सकेगा। इसके अलावा, मॉरीशस के साथ हमारे दीर्घकालिक संबंध मजबूत होंगे।’’
चागोस द्वीपसमूह के मुद्दे पर कई वर्षों से विवाद जारी था और इसका भविष्य तय करने के लिए कंजरवेटिव पार्टी के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार ने 2022 में वार्ता शुरू की थी।
विदेश, राष्ट्रमंडल एवं विकास कार्यालय (एफसीडीओ) ने कहा कि मॉरीशस के साथ किया गया समझौता वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य और हिंद महासागर तथा व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति व समृद्धि के लिए खतरों को टालने की ब्रिटेन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इसने कहा कि समझौते के तहत मॉरीशस को द्वीपों पर संप्रभुता प्राप्त होगी, जबकि डिएगो गार्सिया पर ब्रिटेन का अधिकार होगा।
एफसीडीओ ने दावा किया कि ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच राजनीतिक समझौते के बाद 50 से अधिक वर्षों में पहली बार सैन्य अड्डे की स्थिति निर्विवाद और कानूनी रूप से मान्य होगी।