ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में मोदी ने आतंकवाद से लड़ने के लिए एकमत होकर सहयोग करने पर जोर दिया

कजान (रूस), 23 अक्टूबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद से लड़ने में सभी के ‘‘एकमत होकर दृढ़ता से सहयोग करने’’ की जोरदार पैरोकारी करते हुए बुधवार को कहा कि इस चुनौती से निपटने में ‘‘दोहरे मापदंडों’’ के लिए कोई जगह नहीं है।

मोदी ने यहां 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह भी रेखांकित किया कि युवाओं में कट्टरपंथ को रोकने के लिए हमें ‘‘सक्रिय रूप से कदम’’ उठाने चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और ईरान के मसूद पेजेशकियन सहित ब्रिक्स के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में यह कहा।

मोदी ने कहा, ‘‘आतंकवाद और इसके वित्तपोषण से निपटने के लिए हम सभी को एक मत होकर दृढ़ता से सहयोग करना होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे गंभीर विषय पर दोहरे मापदंड के लिए कोई जगह नहीं है। युवाओं में कट्टरपंथ को रोकने के लिए हमें सक्रिय रूप से कदम उठाने चाहिए।’’

मोदी की यह टिप्पणी कि आतंकवाद से निपटने में ‘‘दोहरे मापदंडों’’ के लिए कोई जगह नहीं है, इसलिए मायने रखती है कि चीन ने पाकिस्तानी आतंकवादियों को सूचीबद्ध करने संबंधी कई प्रस्तावों को संयुक्त राष्ट्र में अवरुद्ध कर दिया था।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अतंरराष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र में व्यापक सम्मेलन के लंबित मुद्दे पर हमें मिलकर काम करना होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उसी तरह हमें साइबर सुरक्षा, सुरक्षित एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के लिए वैश्विक नियमनों के वास्ते काम करने की जरूरत है।’’

प्रधानमंत्री के अनुसार, भारत साझेदार देशों के रूप में ब्रिक्स में नये देशों का स्वागत करने के लिए तैयार है।

मोदी ने कहा, ‘‘इस संबंध में सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाने चाहिए और ब्रिक्स के संस्थापक सदस्यों के विचारों का सम्मान करना चाहिए। जोहानिसबर्ग शिखर सम्मेलन में जिस दिशा-निर्देशक सिद्धांत, मानक, पात्रता और प्रक्रिया को हमने अपनाया था, उनका पालन सभी सदस्य और साझेदार देशों को करना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि ब्रिक्स ऐसा संगठन है, जो समय के अनुसार खुद को बदलने की इच्छा-शक्ति रखता है।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमें इसका उदाहरण पूरे विश्व के सामने रखते हुए वैश्विक संस्थाओं में सुधार के लिए एकमत होकर आवाज उठानी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ब्रिक्स के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए हमें ध्यान रखना चाहिए कि इस संगठन की छवि ऐसी न बने जो वैश्विक संस्थाओं में सुधार के बजाय उनकी जगह लेना चाहता हो।’’