अपरंपरागत विचारों को अपनाना अपारंपरिक युद्ध में बढ़त हासिल करने का एकमात्र तरीका: राजनाथ

नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि प्रौद्योगिकी ने पारंपरिक युद्ध को अपारंपरिक में बदल दिया है और इस बदलाव के बीच आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका ऐसे नए विचारों को अपनाना है, जो अभी तक दुनिया को ज्ञात नहीं हैं।

राष्ट्रीय राजधानी में, डीआरडीओ (रक्षा एवं अनुसंधान संगठन) भवन में आयोजित ‘रक्षा प्रौद्योगिकी संवर्द्धन पर डीआरडीओ-उद्योग कार्यशाला’ में अपने संबोधन में सिंह ने निजी क्षेत्र से रक्षा क्षेत्र में ‘भागीदारी’ से आगे बढ़कर ‘नेतृत्व करने’ की ओर बढ़ने का आह्वान किया।

रक्षा मंत्री ने कहा कि वर्तमान में प्रौद्योगिकी ने पारंपरिक युद्ध को अपारंपरिक में बदल दिया है।

रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी बयान में उन्हें उद्धृत करते हुए कहा गया, ‘‘आधुनिक युद्ध में ड्रोन, साइबर युद्ध, जैविक हथियार और अंतरिक्ष रक्षा जैसे नये आयाम जुड़ गए हैं। इस परिवर्तनकारी चरण में रक्षा में अनुसंधान और विकास निश्चित रूप से रक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाएगा।’’

उन्होंने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों, उद्योगपतियों, शिक्षाविदों, स्टार्ट-अप, एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) और युवा उद्यमियों को इस प्रयास में एक साथ काम करते देखना उत्साहजनक है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘‘निजी क्षेत्र के लिए आगे आने का समय आ गया है क्योंकि उनमें तेजी से होने वाले बदलावों को आत्मसात करने और नवाचार की क्षमता है।’’

सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि ‘‘अपरंपरागत विचारों को अपनाना, जो अभी तक दुनिया को ज्ञात नहीं हैं, अपरंपरागत युद्ध में बढ़त बनाने का एकमात्र तरीका है।’’

उन्होंने इसे एक कठिन कार्य मानते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इस प्रयास में युवाओं, वैज्ञानिकों, उद्योगपतियों और एमएसएमई को ‘‘सभी आवश्यक सहायता प्रदान करती रहेगी।’’

सिंह ने रक्षा क्षेत्र को और अधिक नवीन और प्रौद्योगिकी-उन्मुख बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

कार्यक्रम में, रक्षा मंत्री ने अगली पीढ़ी के नवोन्मेषियों और स्टार्ट-अप को रक्षा अनुप्रयोगों के लिए परिवर्तनकारी विचारों के साथ आगे आने के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते ‘डेयर टू ड्रीम 5.0’ की शुरुआत की।

बयान में कहा गया है कि डीआरडीओ की नवाचार प्रतियोगिता के पांचवें संस्करण का उद्देश्य भारत के लिए अत्याधुनिक समाधान तैयार करना है, ताकि रक्षा प्रौद्योगिकियों में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने की दिशा में भारत आगे बढ़ सके।

रक्षा मंत्री ने वैज्ञानिकों, स्टार्ट-अप और युवा उद्यमियों से आह्वान किया कि वे लीक से हटकर सोचें और नये आविष्कार करें।