वर्षा बुलाने के टोटके

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यूं तो पूरे भारतवर्ष में लोग विभिन्न प्रकार से वर्षा कराने हेतु इन्द्र भगवान को प्रसन्न करने के तरीके अपनाते हैं परंतु कुछ तरीके वास्तव में विचित्र हैं। राजस्थान में आमतौर पर वर्षा बहुत कम होती है तथा तरह-तरह के यत्न वर्षा हेतु किये जाते  हैं। यहां लोग सभी काम छोड़कर संत रामदेव, वीर तेजाजी एवं महादेव की पूजा पाठ  कई दिन तक करते हैं। सावन मास में पूरे माह भगवान शिव का रूद्राभिषेक किया जाता है तथा ऐसी मान्यता है कि इससे भगवान प्रसन्न होकर वर्षा करते हैं। यहां की बंजारा जाति की औरतें वर्षा कराने के लिए चोरी छिपे किसी जगह इकट्ठा होती हैं तथा एक-दूसरे पर कंटीली झाडिय़ों से प्रहार कर लहलूहान कर देती हैं। ऐसी मान्यता है कि घावों से बहने वाला खून वर्षा को अपनी ओर खींचता है।
पंजाब के ग्रामीण इलाकों में मिट्टी के एक मटके में गोबर का घोल तैयार कर गांव की सबसे बुजुर्ग महिला के घर जाते हैं। वे इस गोबर को उसके सिर पर डाल देते हैं जिससे वह नाराज होकर गालियां देती है। ऐसी मान्यता है कि बुजुर्ग महिला जितनी अधिक गालियां देगी उतनी ही जल्दी वर्षा होगी।
बिहार के कुछ क्षेत्रों में महिलाएं एक घड़े में पानी भरकर उसमें एक मेंढक छोड़ देती हैं। उस पानी और मेंढक को ओखली में डालकर मूसल से पीट-पीट कर मार देते हैं तथा उस पानी को किसी के घर में फैंक देते हैं। जब गृहस्वामी इस बात पर गुस्सा  होता है तो उसके क्रोध को वर्षा आने का संकेत माना जाता है।
उत्तर प्रदेश एवं मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में वर्षा न होने की स्थिति में एक निश्चित दिन गांव के सभी लोग अपना चूल्हा बंद रखते हैं। इस दिन से एक रोज पहले घर-घर में  तरह-तरह की मिठाईयां और व्यंजन तैयार किए जाते हैं जिन्हें दूसरे दिन गांव के सभी लोग मिलकर सामूहिक रूप से खाते हैं तथा नाच-गाकर उत्सव मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस समारोह के बाद पानी अवश्य बरसता है।
गुजरात में जब वर्षा नहीं होती है तो लोग परेशान होकर किसी गैर शादीशुदा युवक को वृक्ष के पत्तों से बना वस्त्र पहनाकर गांव के हर घर में भेजा जाता है। सारे घरों के लोग उस पर पानी फैंकते हैं तथा ऐसी मान्यता है कि इसकेे बाद अच्छी बरसात होती है। इसी प्रकार कई जगह लोग वर्षा के लिए मेंढकों की शादी करवाते हैं तथा ऐसा मानते हैं कि मेंढकों का विवाह देखकर इंद्र देवता बरसात करने को मजबूर हो जाते हैं।
दक्षिण भारत में बारिश के लिए एक विचित्र प्रथा प्रचलित है। तमिलनाडु के ग्रामीण इलाकों में एक नग्न बालक के माथे पर शिवलिंग और हरे नीम की पत्तियां रखकर पूरे गांव में घुमाया जाता है तथा लोग उसके सिर पर रखे शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, ऐसी मान्यता है कि इससे शीघ्र वर्षा होती है। इसी प्रकार दक्षिण भारत में ही एक अन्य प्रथा का सहारा भी वर्षा हेतु लिया जाता है। इस प्रथा के अंतर्गत वहां कुआंरी लड़कियां किसी पेड़ की डाल पर मेंढक बांधकर लटका देती है तथा लोग बारी-बारी से उस मेंढक पर तब तक पानी छिड़कते हैं जब तक वर्षा नहीं होती है।
हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में वर्षा के लिए रात को गांव के लड़के इकट्ठे होकर गसाईन्टू नामक लोक गीत गाते हुए घर-घर से अनाज इकट्ठा करते हैं  तथा घर की औरतें उन पर पानी फैंकती हैं तथा ऐसा माना जाता है कि इससे वर्षा होती है। ये लोग इस इकट्ठे किए अनाज से इंद्र देव की पूजा कर हवन करते हैं तथा फिर साथ-साथ भोज करते हैं।
विदेशों में वर्षा हेतु टोटके
चीनवासी  समय पर वर्षा न होने पर लकड़ी का एक बड़ा सा पुतला शहर के बीचों बीच रखकर उसकी पूजा करते हैं तथा ऐसी मान्यता है कि पुतला रखने के तीन दिन के भीतर बरसात हो जाती है। इसी प्रकार नेपाल में वर्षा के लिए पूरे विधि विधान से यज्ञ किए जाते हैं तथा लोग मानते हैं कि इससे वातावरण शुद्घ होता है तथा वर्षा होती है।
वर्षा का इंतजार सभी को होता है तथा जब वर्षा का इंतजार लंबा हो जाता है तो इंसान विभिन्न प्रकार के टोटके एवं तरीके अपनाकर वर्षा को बुलाने का यत्न करता है।
वर्षा रोकने की परम्पराएं
इसी प्रकार वर्षा रोकने के लिए भी कुछ परम्पराएं प्रचलित हैं जैसे पुराने काले तवे को आंगन में उल्टा करके रखने पर वर्षा व ओले पडऩे बंद हो जाते हैं। इसी प्रकार आटा छानने की छलनी को वर्षा में उल्टा करके पकडऩे पर वर्षा थम जाती है। इस प्रकार की अनेक अनोखी परम्पराएं देश विदेश में आज के आधुनिक युग में भी चल रही हैं। रूस के क्रेमलिन में विभिन्न समारोहों के दौरान वर्षा रोकने हेतु रसायनों का छिड़काव किया जाता है।
वर्षा के बारे में कई परम्पराएं प्रचलित हैं जो बुर्जुगों के अनुभव एवं कुछ अंधविश्वास पर भी आधारित हैं। यदि जेठ (जून) के महीने के पहले 10-15 दिन तेेज गर्मी पड़ती है तो आने वाली  वर्षा ऋतु में उतनी ही अच्छी बारिश होती है। इसी प्रकार यदि गर्मी के मौसम में काले घने बादल पहाडिय़ों से नीचे आ जायें तो समझो वर्षा आने वाली है। इसी प्रकार के एक अंधविश्वास के अनुसार यदि गर्मी का मौसम हो और घर में अचानक एक-दो बार पानी से भरी बाल्टी गिर जाय तो इसका तात्पर्य है कि 1-2 दिनों में वर्षा आने वाली है। इसी प्रकार गर्मी के मौसम में यदि शुक्रवार व शनिवार को आसमान में घने बादल छाये हो तो सोमवार तक अवश्य बारिश हो जाती है। यदि खेजड़ी पर सांगरी अधिक लगती है तो मानसून के अच्छे होने का संकेत माना जाता है। इसी प्रकार फसलों के फलों की संख्या एवं रंग आदि पर आधारित कई परम्पराएं राजस्थान एवं अन्य प्रदेशों में प्रचलित हैं।

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