सिंगापुर, भारत ने सेमीकंडक्टर परिवेश तंत्र पर समझौता ज्ञापन का किया आदान-प्रदान

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नयी दिल्ली, पांच सितंबर (भाषा) भारत और सिंगापुर ने सेमीकंडक्टर परिवेश तंत्र के क्षेत्र में साझेदारी तथा सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) का आदान-प्रदान किया है।

सिंगापुर सरकार की ओर से बृहस्पतिवार को जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान किया गया।

वोंग के निमंत्रण पर मोदी अभी दो दिन की सिंगापुर की यात्रा पर हैं।

इसमें कहा गया, ‘‘ सिंगापुर और भारत ने सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में साझेदारी तथा सहयोग के लिए आज एक समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान किया। इस एमओयू का मकसद भारत के बढ़ते सेमीकंडक्टर उद्योग का समर्थन करना, साथ ही सिंगापुर की सेमीकंडक्टर कंपनियों तथा संबंधित आपूर्ति श्रृंखलाओं के परिवेश तंत्र को तेजी से बढ़ते भारतीय बाजार में हिस्सा लेने की सुविधा प्रदान करना है।’’

इस समझौते पर उप प्रधानमंत्री एवं व्यापार व उद्योग मंत्री गान किम योंग और भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 26 अगस्त, 2024 को भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन में हस्ताक्षर किए थे।

इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिक वाहन और विनिर्माण क्षेत्रों में मजबूत घरेलू मांग के कारण भारत सेमीकंडक्टर विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनने की आकांक्षा रखता है।

दूसरी ओर, सिंगापुर ने एक सेमीकंडक्टर परिवेश तंत्र स्थापित किया है। उसने सेमीकंडक्टर कंपनियों का एक मजबूत समूह तैयार किया है, जो भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग की वृद्धि में हिस्सा लेने को उत्सुक हैं।

बयान में कहा गया, ‘‘ एमओयू के तहत, सिंगापुर तथा भारत अपने सेमीकंडक्टर परिवेश तंत्र में पूरक विशेषज्ञताओं का लाभ उठाएंगे और अपनी सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखलाओं को जुझारू बनाने के लिए अवसरों का इस्तेमाल करेंगे।’’

समझौते के तहत पहल में परिवेश तंत्र विकास, आपूर्ति श्रृंखला को जुझारू बनाना और कार्यबल विकास पर सरकार के नेतृत्व में नीतिगत आदान-प्रदान शामिल होंगे।

बयान में कहा गया , ‘‘ व्यापार एवं उद्योग मंत्रालय (एमटीआई) और भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) विचार-विमर्श को सुविधाजनक बनाने, सहयोग के क्षेत्रों की प्रगति की निगरानी करने और सर्वोत्तम व्यवहार का आदान-प्रदान करने के लिए एक ‘नीति वार्ता’ स्थापित करेंगे।’’

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