सहारा समूह अपने अधिकारियों, शेयरधारकों, संपत्तियों की सूची पेश करेः उच्चतम न्यायालय

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नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को सहारा समूह से अपने शीर्ष अधिकारियों और मौजूदा शेयरधारकों के अलावा बिना रोक वाली उन संपत्तियों की सूची भी पेश करने को कहा जिनकी बिक्री से 10,000 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं।

निवेशकों का लंबे समय से फंसा हुआ पैसा लौटाने के लिए यह राशि सेबी-सहारा रिफंड खाते में जमा की जानी है।

शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त, 2012 को निर्देश दिया था कि सहारा समूह की कंपनियां- सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) निवेशकों से जुटाई गई राशि को 15 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ सेबी को लौटाएंगी।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि यह मामला एक दशक से अधिक समय से लंबित है लिहाजा निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए न्यायालय को कोई व्यावहारिक समाधान निकालना होगा।

पीठ ने कहा, ‘‘सहारा समूह ने कहा है कि वह करीब 10,000 करोड़ रुपये जमा करने के लिए एक योजना लेकर आएगा। यह मामला लंबा नहीं खींचा जा सकता है। न्यायालय की तरफ से 25,000 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिए जाने के बाद भी 10 वर्ष से अधिक समय बीत चुका है। हमें कोई व्यावहारिक समाधान निकालना होगा, क्योंकि कंपनी ने अबतक करीब 15,000 करोड़ रुपये ही जमा किए हैं।’’

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि सहारा समूह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शेष राशि जमा करने के लिए कंपनी की तरफ से योजना पेश किए जाने की बात कही है।

बाजार नियामक सेबी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि 2023 में सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय के निधन के बाद कोई नहीं जानता कि कंपनी की कमान किसके पास है और अदालती आदेश का पालन वह किस तरह से करेगी।

इस पर पीठ ने सहारा समूह के निदेशकों और शेयरधारकों के नामों सहित वर्तमान संगठनात्मक ढांचे के बारे में जानकारी देने को कहा।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह बृहस्पतिवार को सबसे पहले संपत्तियों की बिक्री के सवाल पर गौर करेगी और फिर निवेशकों को धन लौटाने पर विचार करेगी।

पीठ ने कहा, ‘‘हम एंबी वैली को छोड़कर समूह की सभी बंधक और गैर-बंधक संपत्तियों की सूची चाहते हैं, ताकि उन पर आवश्यक निर्देश पारित किए जा सकें।’’

इसके पहले शीर्ष अदालत ने मंगलवार को कहा था कि सेबी-सहारा रिफंड खाते में लगभग 10,000 करोड़ रुपये जमा करने के लिए सहारा समूह पर अपनी संपत्तियां बेचने को लेकर कोई भी रोक नहीं है।

हालांकि, उसने कहा था कि सहारा समूह की संपत्तियों को सर्किल रेट से कम पर नहीं बेचा जाना चाहिए और सर्किल रेट से कम पर बेचने के पहले न्यायालय की मंजूरी लेनी होगी।

सेबी ने अदालत को बताया था कि सहारा समूह की कंपनियों ने अब तक 15,455.70 करोड़ रुपये जमा किए हैं, जिन्हें विभिन्न राष्ट्रीयकृत बैंकों की सावधि जमाओं में निवेश किया गया है। इस तरह 30 सितंबर, 2020 तक सेबी-सहारा रिफंड खाते में अर्जित ब्याज सहित कुल राशि 22,589.01 करोड़ रुपये थी।

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