आरबीआई के इस साल नीतिगत दर में कटौती की संभावना नहीं: एसबीआई प्रमुख

ntnew-18_15_312066841rbi-

नयी दिल्ली, 18 सितंबर (भाषा) भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन सी एस शेट्टी ने कहा है कि खाद्य मुद्रास्फीति के मोर्चे पर अनिश्चितता को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस साल प्रमुख नीतिगत दर में संभवत: कटौती नहीं करेगा।

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व बुधवार को पेश होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में संभवत: ब्याज दर घटा सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह चार साल से अधिक समय में पहली बार होगा जब वह नीतिगत दर में कटौती करेगा। ऐसा माना जा रहा है कि अन्य देशों के केंद्रीय बैंक भी इसका अनुसरण करने के लिए प्रेरित होंगे।

हाल ही में एसबीआई की कमान संभालने वाले शेट्टी ने पीटीआई-भाषा से विशेष बातचीत में कहा, ‘‘कई केंद्रीय बैंक नीतिगत दर के मोर्चे पर स्वतंत्र निर्णय ले रहे हैं। हालांकि, फेडरल रिजर्व के ब्याज दर में कटौती का असर सभी पर पड़ेगा, लेकिन आरबीआई ब्याज दर में कटौती पर निर्णय लेने से पहले खाद्य मुद्रास्फीति को ध्यान में रखेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यही हमारा विचार है। हमारा यह भी मानना है कि इस साल नीतिगत दर में संभवत: कटौती नहीं होगी। जबतक खाद्य मुद्रास्फीति नीचे नहीं आती, तबतक नीतिगत दर में कटौती मुश्किल है और इसके लिए शायद हमें चौथी (जनवरी-मार्च 2025) तिमाही के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।’’

आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) सात से नौ अक्टूबर को होने वाली अपनी बैठक में नीतिगत दर पर निर्णय करेगी।

एमपीसी मौद्रिक नीति पर गौर करते समय खुदरा मुद्रास्फीति पर ध्यान दे रही है। खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में मामूली बढ़कर 3.65 प्रतिशत हो गई, जो जुलाई में 3.54 प्रतिशत थी।

हालांकि, मुद्रास्फीति आरबीआई के औसत लक्ष्य चार प्रतिशत से नीचे है, लेकिन खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर अगस्त में 5.66 प्रतिशत थी।

केंद्रीय बैंक ने उच्च खाद्य मुद्रास्फीति के जोखिम को देखते हुए अगस्त की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा। यह लगातार नौवीं बार था, जब रेपो दर में बदलाव नहीं किया गया। रिजर्व बैंक फरवरी 2023 से मानक रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है।

एसबीआई कुछ सहायक कंपनियों में हिस्सेदारी बेचे जाने के सवाल पर शेट्टी ने कहा कि फिलहाल किसी भी सहायक कंपनी में हिस्सेदारी के विनिवेश के बारे में कोई विचार नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर इन सहायक कंपनियों को (विकास) पूंजी की आवश्यकता है, तो हम निश्चित रूप से गौर करेंगे।’’

शेट्टी ने कहा कि इस समय किसी भी बड़ी अनुषंगी कंपनी को अपने परिचालन को बढ़ाने के लिए मूल कंपनी से पूंजी की आवश्यकता नहीं है।

बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 में एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि. में 489.67 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी डाली थी।

कंपनी ने कर्मचारियों को कर्मचारी शेयर स्वामित्व योजना (ईसाप) के तहत शेयर भी आवंटित किया है। इसके परिणामस्वरूप बैंक की हिस्सेदारी 69.95 प्रतिशत से मामूली घटकर 69.11 प्रतिशत हो गई है।