राष्ट्रपति मुर्मू ने सियाचिन पहुंचकर सैनिकों से कहा, सभी देशवासी आपकी वीरता को प्रणाम करते हैं

नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को सियाचिन स्थित ‘बेस कैंप’ (आधार शिविर) का दौरा किया और दुनिया के सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित युद्ध के मैदान में तैनात सैनिकों से कहा कि सभी देशवासी उनकी वीरता को प्रणाम करते हैं।

सैनिकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारी बर्फबारी और शून्य से 50 डिग्री सेल्सियस नीचे तापमान जैसी कठिन परिस्थितियों में मातृभूमि की रक्षा के लिए उन्होंने धैर्य और त्याग का अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर के रूप में उन्हें सैनिकों पर गर्व है और ‘‘सभी नागरिक उनकी वीरता को प्रणाम करते हैं।’’

मुर्मू ने कहा, ‘‘उन्हें मौसम संबंधी गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ता है। भारी बर्फबारी और शून्य से 50 डिग्री नीचे तापमान जैसी कठिन परिस्थितियों में भी वे पूरी निष्ठा और सतर्कता के साथ अपने मोर्चे पर तैनात रहते हैं। वे मातृभूमि की रक्षा में त्याग और धैर्य का असाधारण उदाहरण पेश करते हैं।’’

राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, उन्होंने सैनिकों से कहा कि सभी भारतीय उनके त्याग और धैर्य से अवगत हैं और ‘हम उनका सम्मान करते हैं।’’

भारतीय सैन्य वर्दी पहने मुर्मू ने सियाचिन युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि भी अर्पित की।

उन्होंने कहा कि यह स्मारक उन सैनिकों और अधिकारियों के बलिदान का प्रतीक है जो 13 अप्रैल, 1984 को सियाचिन ग्लेशियर पर भारतीय सेना द्वारा शुरू किये गए ‘ऑपरेशन मेघदूत’ के बाद से शहीद हुए हैं।

ऑपरेशन मेघदूत के तहत भारतीय सेना ने ग्लेशियर पर अपना पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि ऑपरेशन मेघदूत की शुरुआत के बाद से, ‘‘भारतीय सशस्त्र बलों के बहादुर सैनिकों और अधिकारियों ने इस क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित की है।’’

लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर बी डी मिश्रा ने थोइस हवाई क्षेत्र में राष्ट्रपति मुर्मू के आगमन पर उनका स्वागत किया।

मुर्मू देश की तीसरी राष्ट्रपति हैं जिन्होंने केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में स्थित सियाचिन आधार शिविर का दौरा किया है। ऐसा करने वाले अन्य राष्ट्रपतियों में ए पी जे अब्दुल कलाम और रामनाथ कोविंद का नाम शामिल है। कलाम ने अप्रैल 2004 में यहां का दौरा किया था, जबकि कोविंद ने मई 2018 में आधार शिविर गए थे।

सियाचिन ग्लेशियर काराकोरम पर्वत श्रृंखला में लगभग 20,000 फुट की ऊंचाई पर है। इसे दुनिया के सबसे ऊंचे सैन्यीकृत क्षेत्र के रूप में जाना जाता है जहां सैनिकों को अत्यधिक ठंड और तेज हवाओं समेत मौसम संबंधी अन्य गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ता है।