नयी दिल्ली, 12 सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने सेंट पीटर्सबर्ग में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगु से मुलाकात की और यूक्रेन तथा रूस के बीच संघर्ष को समाप्त कराने में भारत की संभावित भूमिका पर चर्चाओं के बीच ‘‘आपसी हितों के’’ अनेक मुद्दों पर बातचीत की।
डोभाल-शोइगु की यह मुलाकात ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के एक सम्मेलन से इतर बुधवार शाम को हुई।
डोभाल और शोइगु के बीच वार्ता पर रूस में भारतीय दूतावास ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति की समीक्षा की और परस्पर हितों के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।’’
डोभाल की ये रूस यात्रा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यूक्रेन की राजधानी कीव की ‘हाई प्रोफाइल’ यात्रा के ढाई हफ्ते बाद हुई है।
जेलेंस्की से बातचीत में मोदी ने कहा था कि युद्ध को खत्म करने के लिए यूक्रेन और रूस दोनों को बिना समय गंवाए बैठकर बात करनी चाहिए और भारत क्षेत्र में शांति बहाल करने में ‘‘सक्रिय भूमिका’’ निभाने को तैयार है।
प्रधानमंत्री ने कहा था कि संघर्ष की शुरुआत से ही भारत शांति का पक्षधर रहा है और वह संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए व्यक्तिगत रूप से भी योगदान दे सकते हैं।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मॉस्को में शिखर वार्ता के छह हफ्ते बाद मोदी ने यूक्रेन की यात्रा की थी। वर्ष 1991 में यूक्रेन के स्वतंत्र होने के बाद से किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यूक्रेन यात्रा थी।
पिछले कुछ दिनों से रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ताओं को गति देने में भारत की संभावित भूमिकाओं पर चर्चा हो रही है क्योंकि भारत के दोनों देशों के साथ अच्छे रिश्ते रहे हैं।
इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने शनिवार को जेलेंस्की के साथ बातचीत के बाद कहा था कि भारत और चीन युद्ध खत्म करने के लिए समधान तलाशने में भूमिका निभा सकते हैं।
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने पिछले बृहस्पतिवार को रूसी शहर व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच में एक पैनल चर्चा में संभावित मध्यस्थों में भारत, ब्राजील और चीन का नाम लेते हुए कहा था कि वे संघर्ष खत्म करने में भूमिका निभा सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने सहयोगियों – चीन, ब्राजील और भारत के साथ संपर्क में हूं और मुझे पूरा विश्वास है कि इन देशों के नेता इसमें पूरी रूचि दिखाएंगे और मदद का हाथ आगे बढ़ाएंगे क्योंकि हमारे बीच विश्वास और भरोसे का रिश्ता है।’’
रूस और यूक्रेन के बीच संभावित मध्यस्थ देश कौन कौन हो सकते हैं, इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने यह टिप्पणी की।
भारत यह कहता रहा है कि यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष का निश्चित रूप से वार्ता और कूटनीति के जरिए समाधान होना चाहिए।