अनुसंधान के क्षेत्र में महिलाओं की अधिक भागीदारी देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण : राष्ट्रपति मुर्मू

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जयपुर, 18 सितंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में महिलाओं की अधिक भागीदारी न केवल देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि देश की बेटियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए भी आवश्यक है।

राष्ट्रपति ने कहा कि विद्यार्थियों की महत्वाकांक्षाएं राष्ट्र की अपेक्षाओं के अनुरूप होनी चाहिए।

मुर्मू ने यहां मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनआईटी) के 18वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की और अपने संबोधन में यह बात कही।

उन्होंने कहा, ‘‘आज मैंने जो 20 स्वर्ण पदक दिए हैं उनमें से 12 पदक हमारी बेटियों ने प्राप्त किए हैं जबकि उपाधि प्राप्त करने वाले कुल विद्यार्थियों में लगभग 29 प्रतिशत ही बेटियां हैं। पदक विजेताओं में बेटियों का यह अनुपात इस बात का प्रमाण है कि अगर उन्हें समान अवसर प्रदान किए जाएं तो वे अपेक्षाकृत अधिक उत्कृष्टता हासिल कर सकती हैं।’’

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मैं आज उपाधि और पदक प्राप्त करने वाली सभी बेटियों को विशेष रूप से बधाई देती हूं। अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में महिलाओं की अधिक भागीदारी न केवल देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि हमारी बेटियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए भी आवश्यक है।”

उन्होंने कहा, ” यह प्रसन्नता का विषय है कि हाल के वर्षों में स्टेम (एसटीईएम) में लड़कियों के नामांकन में वृद्धि हुई है। यह भी एक सराहनीय तथ्य है कि एमएनआईटी की फैकल्टी में लगभग एक-तिहाई महिलाएं हैं। मुझे विश्वास है कि आने वाले वर्षों में यह अनुपात और भी बेहतर होगा।”

मुर्मू ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमने भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य तय किया है। राष्ट्रीय विकास को नेतृत्व प्रदान करना आपका कर्तव्य है। आपको अपने देश को आगे बढ़ाना है। आप अपनी विद्या और दृढ़ संकल्प के बल पर व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ देश के भविष्य को स्वरूप प्रदान करने के लिए आगे बढ़ें।’’

एमएनआईटी के ध्येय वाक्य “योगः कर्मसु कौशलम्” का उल्लेख करते हुए उन्होंने विद्यार्थियों से कहा, ‘‘इसका मतलब है कर्म की कुशलता ही योग है। श्रीमद्भगवद्गीता का यह उपदेश आपको प्रेरित करता है कि आप जो भी कार्य करें पूरी दक्षता और निष्ठा से करें। मेरा मानना है कि आपकी महत्वाकांक्षाएं राष्ट्र की अपेक्षाओं के अनुरूप होनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, “आपके कर्मयोगी भाव से समाज और राष्ट्र की प्रगति का मार्ग प्रशस्त होना चाहिए। जो संस्थान ‘इंस्टीट्यूशन ऑफ नेशनल इंपोर्टेंस’ हो उसके विद्यार्थियों से ‘नेशन फर्स्ट’ की भावना से कार्य करने की अपेक्षा स्वाभाविक है।’’

राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि संस्थान के छात्र यहां प्राप्त ज्ञान और कौशल के बल पर आने वाली चुनौतियों का सामना करने और उभरते अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम होंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति के इस दौर में चुनौतियों के साथ नए-नए अवसर भी आ रहे हैं, इन अवसरों का लाभ उठा कर भारत को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी राष्ट्र बनाने में देश के तकनीकी संस्थानों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इस कार्यक्रम में राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी मौजूद रहे।