90 के दशक की बॉलीवुड की बेहद खूबसूरत और पॉपुलर एक्ट्रेस महिमा चौधरी, का जन्म 13 सितंबर 1973 को पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में हुआ।
फिल्मों में आने के पहले, एक लंबे वक्त तक महिमा, मॉडलिंग में थीं। उस वक्त उनका नाम रितु चौधरी हुआ करता था। रितु ने पहला ऐड पेप्सी के लिए किया था, जो काफी फेमस हुआ था।
कुछ समय के लिए उन्होंने ‘चैनल वी’ के लिए बतौर वीजे भी काम किया। इस चैनल के शो ‘पब्लिक डिमांड’ को उन्होंने जिस अंदाज में होस्ट किया, शायद उसी की वजह से वह शो अत्यंत पॉपुलर हुआ।
इस के बाद रितु चौधरी को फिल्मों के ऑफर मिलने लगे। सबसे पहले, मणिरत्नम ने एक फिल्म के लिए, उनका ऑडिशन लिया, लेकिन उनका सिलेक्शन नहीं हो गया।
विधु विनोद चोपड़ा और सुभाष घई ने भी रितु को फिल्में ऑफर की थी। विधु विनोद चौपड़ा रितु चौधरी और बॉबी देओल को साथ लेक, फिल्म ‘करीब’ बनाना चाहते थे। लेकिन बाद में उन्हें रिप्लेस कर दिया गया।
जबकि सुभाष घई की फिल्म ‘परदेस’ (1997) के लिए ऑडिशन के बाद रितु को सिलेक्ट कर लिया गया। फिल्म की शूटिंग शुरू होने के साथ ही सुभाष घई ने उनका नाम रितु से बदलकर महिमा कर दिया।
फिल्म ‘परदेस’ (1997) में महिमा चौधरी, शाहरूख खान के अपोजिट लीड रोल में थीं। फिल्म में महिमा की शानदार स्माइल और बेहतरीन एक्टिंग ने, उन्हें रातों रात स्टार बना दिया।
फिल्म ‘दाग: द फायर’ (1999) में महिमा की ग्लैमरस इमेज इतनी जबर्दस्त थी कि, हर कोई उनका दीवाना हो गया।
प्रकाश झा व्दारा निर्देशित फिल्म, ‘दिल क्या करे’ (1999) में महिमा, अजय देवगन और काजोल के साथ थीं। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान एक रोड एक्सीडेंट के दौरान महिमा के चेहरे में कांच के तमाम टुकड़े धंस गए। इस एक्सीडेंट की वजह से उन्होंने अपना कॉन्फिडेंस ही खो दिया।
जैसे तैसे महिमा ने खुद को संभाला और वह फिर से उठ खड़ी हुईं। एक बार फिर उन्होंने ‘प्यार कोई खेल नहीं’ (1999) ‘धड़कन’ (2000) ‘दीवाने’ (2000) और ‘कुरूक्षेत्र’ (2000) जैसी फिल्मों में अपनी खूबसूरती का जादू बिखेरा।
लेकिन उसके बाद महिमा की ‘खिलाड़ी 420’ (2000) ‘ये तेरा घर ये मेरा घर’ (2001) ‘ओम जय जगदीश’ (2002) ‘दिल है तुम्हारा’ (2002) ‘साया’ (2003) ‘एलओसी कारगिल’ (2003) और ‘दोबारा’ (2004) जैसी फिल्मों में उस तरह का जादू नहीं जगा सकी, जिसके लिए वह मशहूर थीं।
वर्ष 2005 तो महिमा के लिए और भी ज्यादा निराशाजनक साबित हुआ। उस साल वह ‘ज़मीर: द फायर विदिन’ (2005) ‘कुछ मीठा हो जाये’ (2005) ‘सहर’ (2005) ‘होम डिलेवरी’ (2005) जैसी फिल्मों में नजर आईं, लेकिन वे सभी बॉक्स ऑफिस के लिए डिसास्टर साबित हुईं।
‘सैंडविच’ (2006) ‘सरहद पार’ (2006) ‘गुमनाम- द मिस्ट्री’ (2008) जैसी फिल्मों के बाद भी महिमा के लिए हालात नहीं सुधरे। ‘लज्जा’ (2001) में उनका रोल ज्यादा बड़ा नहीं था। जबकि ‘तेरे नाम’ (2003) और ‘बागबान’ (2003) जैसी फिल्मों में उनके स्पेशल कैमियो थे।
बेशक महिमा ने अपने करियर में ज्यादा फिल्में नहीं की लेकिन अपनी खूबसूरती और दमदार अदाकारी का लोहा मनवाया।
सालों बाद महिमा चौधरी, कंगना रनौत व्दारा निर्मित और निर्देशित फिल्म ‘इमरजेंसी’ से बॉलीवुड में वापसी करने जा रही हैं। फिल्म में वह कल्चरल एक्टिविस्ट और और राइटर पुपुल जयकर के रोल में नजर आएंगी।
कुछ विवादों के चलते, 06 सितंबर को रिलीज होने वाली फिल्म ‘इमरजेंसी’ को सेंसर बोर्ड व्दारा रिलीज की अनुमति नहीं मिल सकी। इसलिए फिल्म की रिलीज को टालना पड़ा। लेकिन अब फिल्म को कुछ कट और चैंजेज़ के साथ प्रमाण पत्र मिल चुका है। बहुत जल्दी इसकी रिलीज की नई डेट आने की संभावना है।
‘इमरजेंसी’ के अलावा महिमा के पास एक और फिल्म ‘द सिग्नेचर’ भी है जिसकी शूटिंग खत्म हो चुकी है।