आज के व्यस्त दौर में इतना समय कम ही मिल पाता है कि हम एक-दूसरे से, प्रत्यक्ष मिले, बैठें, बात करें। बस टेलीफोन पर ही दो-तीन वाक्यों में मिलना-जुलना हो जाता है। सामान्यत: यह वाक्य होते हैं- ‘हैलो सब ठीक है। और क्या चल रहा है, सामान्य है न। अच्छा नमस्कार।Ó बस इतना ही। ऐसा ही ज्यादातर होता है। जब कोई मिलने आता है या हम मिलने जाते हैं तो सामान्य शब्दों में नमस्ते, ठीक है आदि वाक्यों से बात शुरू करते हैं फिर अन्य बातें या चर्चा होती है। हमारे एक परिचित हैं श्रीमान क जी। जब भी कोई उनसे मिलने आए या वह किसी से मिलने पहुंच जाए बस उनकी बात खत्म ही नहीं होती। क जी सामने वाले को बोलने का एक परसेंट मौका भी नहीं देते बस अपनी-अपनी कहे चले जाते हैं। सुबह सोकर उठने से लेकर रात्रि शयन करने तक की दिनभर की, न जाने कितनी बातें करते ही रहते हैं। सामने वाला मूकदर्शक बना रह जाता है। सामने वाले से एक प्रश्न वह भी उत्तर में करते हैं सब ठीक है भाईसाब? अरे ठीक ही तो होगा हम है न। इसी तरह श्रीमती एम. हैं। एकदम बिन्दास। कहती भी हैं- ‘हम तो भई बिन्दास हैं। अपनी बात मन में नहीं रखते साफ-साफ कह देते हैं।‘ अक्सर अन्य महिलाएं उन्हें अपने घर की ओर आते देखकर बच्चों से कहलवा देती हैं- आंटी जी, मम्मी तो घर पर नहीं हैं। ऐसे लोग जो सामने वाले की नहीं सुनते, उन्हें पसंद नहीं किया जाता। अरे भइया सामने वाले के विचारों को भी सुनो क्या कहना चाहते हैं वह तुमसे। ऐसी प्रवृत्ति बुजुर्गों में ज्यादा होती है। वह अपने अतीत के संस्मरण दोहराते रहते हैं। कभी-कभी तो ठीक परन्तु हमेशा वही संस्मरण सुनकर उकताहट होती है। धीरे-धीरे लोग ऐसे व्यक्तियों से बचने लगते हैं। आप किसी से मिलने जाएं या कोई आपसे मिलने आएं। आज के समय में यह दोनों ही बातें अति महत्वपूर्ण हैं। समय को महत्व देते हुए सामने वाले को भी बोलने का मौका दें। ताकि आगे कन्नी काटने वाली स्थिति पैदा न हो। – उसे यथास्थान बैठाकर पानी के लिए पूछें और पिलाएं। कुशल क्षेम, स्वास्थ्य, परिवार के बारे में पूछें। – हम सब भी कुशल हैं या ऐसे ही कुछ वाक्य कहकर आगन्तुक को अपनी बात कहने का मौका दें। – बीच-बीच में आवश्यक होने पर ही अपनी बात कहें। – यदि कहीं जाएं तो, जहां गये हैं, वहां पर यथायोग्य अभिवादन सहित मेजबान की कुशलक्षेम पूछें। कुल मिलाकर बात यह है कि अपना व्यवहार संतुलित रखें लोग आपसे मिलने भी आएंगे और आपको उनके यहां जाने पर निराशा नहीं, स्वागत मिलेगा।