आज चारों तरफ बढ़ती गर्मी और तपते तापमान से हाहाकार मचा हुआ है । जानकार इसका कारण कम होते वृक्ष और बाग बगीचों को बता रहे हैं । जानकारों का मानना है कि आज प्रत्येक आदमी को दो पेड़ लगाने की जरूरत है लेकिन अफसोस कि जिस प्रकार से विकास होता जा रहा है और बाग बगीचे वृक्ष नष्ट होते जा रहे हैं वैसे लग नहीं रहे हैं जिसका खामियाजा अब हम ने धीरे-धीरे भुगतना शुरू कर दिया है । हर वर्ष बरसात में पौधारोपण होता है जिससे पर्यावरण स्वच्छ सुरक्षित रहें. इसके लिए सरकार लक्ष्य भी निर्धारित करती है और पौधारोपण होता भी है लेकिन कुछ कागजों में होकर रह जाता है कुछ धरातलों पर होता है और कुछ हवा हवाई होकर रह जाता है । हर साल इतने वर्षों तक पौधारोपण होने के बावजूद आज धरातल पर कुछ एक ही या फिर नाम मात्र के ही पेड़,वृक्ष , बाग – बगीचे बचे होंगे । आखिर समझ में नहीं आता कि कैसे लगाया जाता है और कैसे वृक्षारोपण किया जाता है ? सब कुछ समझ से परे हैं ।
सरकार वृक्षारोपण के लिए अनेक प्रकार के वृक्ष गांव से लेकर शहर तक निशुल्क उपलब्ध कराती है जिसे जिम्मेदार लोगों में बांटकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं । अपनी-अपनी जिम्मेदारी कोई नहीं समझ रहा है और इतने महत्वपूर्ण कार्य में भी जिम्मेदार न जाने कितने वर्षों से घोर लापरवाही करते आ रहें हैं जिसका नतीजा सबके सामने है । छोटी – छोटी गलतियां आज जान पर आ गई हैं । हर कोई अपनी जिम्मेदारी एक दूसरे पर ढकेलता गया जिसका आज नतीजा है कि तापमान और गर्मी असामान्य रूप से बढ़ते जा रहे हैं ।
शहर से गांव तक कहीं भी चले जाइए. जहां कभी पेड़ पौधे वन बाग बगीचे रहा करते थे, वहां आज वीरान या खाली पड़े हुए हैं । कभी सड़कों के किनारे पेड़ हुआ करते थे लेकिन आज गांव की सड़कों आबादी की जमीनों खाली पड़ी बंजर की जमीनों पर पेड़ पौधे नहीं दिखाई देते हैं । जहां दिखते भी हैं वह सामूहिक प्रयास या फिर किसानों की मेहरबानी से । शहर में भी सड़कों से पेड़ गायब हैं. आज जितने वृक्षों की आवश्यकता है उतनें वृक्षों को लगाने में हमें कई साल लग जाएंगे और तब तक इस पृथ्वी का क्या होगा सोचकर रूह कांप जाता है । आज गर्मी लग रही है तो हम पेड़ लगाने के विषय में सोच रहे हैं. जब बरसात आएगी, पेड़ लगाने का समय आएगा ,तब हम एक दो पेड़ लगाकर फोटो खींच कर उसको उसके हाल पर छोड़कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेंगे और उसे उसके स्थिति पर छोड़ देंगे. जो पेड़ लगे, उसका क्या हुआ पता नहीं । फिर गर्मी आएगी और हाय गर्मी , हाय गर्मी की रट लगाएंगे ।
आज आवश्यकता इस बात की है कि हम सभी अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझे और इसके लिए किसी के भरोसे ना रहें । अब भी अगर हम निस्वार्थ भाव से और एक आदमी कम से कम दो पेड़ लगाए, उसकी सुरक्षा करें तब तक करें जब तक वह पेड़ वृक्ष न बन जाए । कुछ वर्षों तक ऐसा करके हम पृथ्वी को हरा-भरा कर सकते हैं , बढ़ते तापमान को और बढ़ने से रोक सकते हैं । यह मानव जाति के साथ-साथ सभी के लिए अच्छा होगा । सभी के जीवन के लिए उपयोगी होगा । हमारे पास सोचने का समय नहीं है , करने का है क्योंकि आज तक हम सोचते सोचते इतने साल गुजार दिए और आज हम ऐसे हालात में आ गए हैं कि उबलने लगे हैं । अगर ऐसे ही हम एक दूसरे के भरोसे या फिर सरकार के भरोसे बैठे रहे तो वह दिन दूर नहीं कि हम सब कुछ नष्ट होते देखेंगे , जान बचाना मुश्किल होगा ।