नयी दिल्ली, 22 सितंबर (भाषा) देश के खाद्य तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह ऊंचे भाव पर कम कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन तथा डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग के चलते सोयाबीन तिलहन के दाम गिरावट के साथ बंद हुए। वहीं बाजार में विशेषकर नरम तेलों (सॉफ्ट आयल) की कम आपूर्ति की स्थिति के बीच सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल तथा बिनौला तेल के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि ऊंचे दाम पर कम कारोबार तथा नई फसल की आवक के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में गिरावट दर्ज हुई। जबकि डीओसी की कमजोर मांग की वजह से सोयाबीन तिलहन के दाम भी सप्ताहांत में गिरावट दर्शाते बंद हुए। वहीं ऐन त्योहारों के मौसम के दौरान विशेषकर सॉफ्ट ऑयल की कम आपूर्ति की स्थिति के बीच सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, सीपीओ एवं पामोलीन तेल और बिनौला तेल के दाम सुधार दर्शाते बंद हुए।
उन्होंने कहा कि इस सुधार के बावजूद मूंगफली एवं सोयाबीन बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 5-7 प्रतिशत और सूरजमुखी 20-25 प्रतिशत नीचे दाम पर बिक रहा है। इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि पिछले सप्ताह जिस सोयाबीन डीगम तेल का दाम 1,015-1,020 डॉलर प्रति टन था वह समीक्षाधीन सप्ताह में बढ़कर 1,060-1,065 डॉलर प्रति टन हो गया है। इसी प्रकार सूरजमुखी तेल का भाव 1,050-1,055 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1,095-1,100 डॉलर प्रति टन तथा सीपीओ का दाम 1,050-1,055 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1,090-1,100 डॉलर प्रति टन हो गया। इस दाम वृद्धि के अलावा शॉर्ट सप्लाई की स्थिति के बीच सोयाबीन तेल, सीपीओ एवं पामोलीन के साथ-साथ बिनौला तेल और सरसों तेल-तिलहन के दाम भी मजबूत हो गये।
सूत्रों ने कहा कि पिछले साल मध्य प्रदेश के खारगौन में किसानों को जिस कपास नरमा का भाव 6,400 रुपये क्विंटल मिला था वह इस साल बढ़कर 7,400-7,500 रुपये क्विंटल हो गया है। इसी प्रकार गुजरात के मेहसाणा में भी कपास नरमा की छिटपुट आवक शुरू हो गई है और किसानों को पिछले साल के मुकाबले बेहतर गुणवत्ता वाले नरमा के लिए लगभग 8,000 रुपये क्विंटल का भाव मिल रहा है। किसान इस ऊंचे भाव से खुश हैं। यह समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल कीमतों में मजबूती का मुख्य कारण है।
उन्होंने कहा कि आने वाले 10-15 दिन में नरमा की आवक और बढ़ेगी और सरकार को इस बीच पशु आहार के लिए सख्त कानून बनाना चाहिये ताकि नकली खल के बढ़ते कारोबार को फलने-फूलने से रोका जा सके।
सूत्रों ने कहा कि विदेशों में कई स्थानों पर बायोडीजल बनाने के लिए कच्चे पामतेल का इस्तेमाल बढ़ने के कारण आने वाले कुछ वर्षो में पाम-पामोलीन की आपूर्ति की स्थिति बिगड़ सकती है और इसे देखते हुए अभी से देश का तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने की ओर ध्यान केन्द्रित करना होगा। संभवत: इसी बायोडीजल में सीपीओ के बढ़ते इस्तेमाल की वजह से इस तेल के दाम सोयाबीन से भी अधिक हो चले हैं।
बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 75 रुपये बढ़कर 6,675-6,725 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 250 रुपये बढ़कर 14,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 40-40 रुपये की मजबूती के साथ क्रमश: 2,175-2,275 रुपये और 2,175-2,290 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 70-70 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,830-4,880 रुपये प्रति क्विंटल और 4,605-4,740 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसके विपरीत सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 1,000 रुपये, 700 रुपये और 650 रुपये बढ़कर क्रमश: 12,850 रुपये, 12,450 रुपये और 9,250 रुपये क्विंटल पर बंद हुए।
मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में भी पिछले सप्ताहांत के मुकाबले गिरावट का रुख रहा। मूंगफली तिलहन 125 रुपये की गिरावट के साथ 6,350-6,625 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात 275 रुपये की गिरावट के साथ 15,100 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव 40 रुपये की गिरावट के साथ 2,270-2,570 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
वहीं, कम आपूर्ति की स्थिति के कारण कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 450 रुपये की तेजी के साथ 11,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 1,000 रुपये के सुधार के साथ 13,150 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 1,050 रुपये के सुधार के साथ 12,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
कम स्टॉक के बीच मांग निकलने से समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल 650 रुपये के सुधार के साथ 12,050 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।