कर्नाटक ने ‘अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस’ के अवसर पर 2500 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाई

बेंगलुरु, 15 सितंबर (भाषा) कर्नाटक ने रविवार को ‘अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस’ के अवसर पर समानता, एकता, बंधुत्व और सहभागितापूर्ण शासन के प्रतीक के रूप में 2,500 किलोमीटर लंबी ‘ऐतिहासिक’ मानव श्रृंखला बनाई।

कर्नाटक सरकार के अनुसार, यह ‘विश्व की सबसे लंबी’ मानव श्रृंखला होगी, जो पूरे राज्य में बीदर से चामराजनगर तक बनाई गई, जिसमें सभी 31 जिले शामिल थे। राज्य सरकार ने नागरिक संस्थाओं के सहयोग से इस दिवस को मनाने के लिए बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित किया है।

मुख्यमंत्री सिद्धरमैया वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों के साथ यहां राज्य विधानमंडल और सचिवालय विधान सौध के सामने आयोजित मुख्य कार्यक्रम में मानव श्रृंखला में शामिल हुए।

मुख्यमंत्री ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ने का नेतृत्व किया। इसके साथ ही ट्रांसजेंडर और दिव्यांगों सहित विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने हाथ पकड़कर मानव श्रृंखला बनाई।

इसी तरह के कार्यक्रम राज्य के सभी जिलों में आयोजित किये गये जिनमें मंत्रियों, जन प्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

अधिकारियों ने बताया कि इस अभिनव और विशाल आयोजन के लिए लंदन से एक विश्व रिकॉर्ड सत्यापन टीम आएगी। उन्होंने बताया कि मानव श्रृंखला लगभग 2,500 किलोमीटर लंबी है और इसे ‘विश्व के इतिहास में सबसे लंबी’मानव श्रृंखला बताया जा रहा है।

इस आयोजन के दौरान, प्रतिभागियों ने बड़ी संख्या में पौधे भी लगाए।

अधिकारियों के मुताबिक, मानव श्रृंखला में हिस्सा लेने वालों को प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। पिछले साल सरकार ने ‘अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस’ कार्यक्रम के तहत संविधान की प्रस्तावना पढ़ने का एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया था।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2007 में हर साल 15 सितंबर को ‘अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की गई, जिसे विश्व स्तर पर मनाया जाता है।

सिद्धरमैया ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समाज को बांटने की कोशिश करने वाली ताकतों के प्रति आगाह किया और कहा कि किसी भी कीमत पर इन विभाजनकारी ताकतों को मजबूत नहीं होने दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं लोकतंत्र समर्थकों और राज्य तथा देश की जनता से अनुरोध करता हूं कि वे विभाजनकारी ताकतों को नष्ट करने की दिशा में काम करें, क्योंकि विभाजनकारी ताकतें लोकतंत्र को उखाड़ फेंकने और संविधान को निष्क्रिय करने की कोशिश कर रही हैं। ये विभाजनकारी ताकतें बहुलवाद, सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ हैं, वे नहीं चाहते कि गरीब आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत हों।’’

मुख्यमंत्री ने रेखांकित किया कि उनकी सरकार की गारंटी योजनाओं से समाज के सभी वर्गों, विशेषकर महिलाओं को लाभ मिल रहा है। उन्होंने विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर अन्न भाग्य (मुफ्त चावल) योजना के लिए केंद्र सरकार को श्रेय देने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

उन्होंने सवाल किया, ‘‘केंद्र को कर कौन देता है, क्या यह कर्नाटक सहित राज्यों के लोगों का पैसा नहीं है? वह पैसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या नड्डा (भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा) का नहीं है।’’

सिद्धरमैया ने उनके नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार की आलोचना कर रही भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘… अगर कोई गलती हुई है तो हम उसे सुधारेंगे। लेकिन भाजपा जैसी ताकतें गरीब विरोधी, दलित विरोधी और सामाजिक न्याय विरोधी हैं। वे लोकतंत्र को उखाड़ फेंकना चाहते हैं और एकता के नाम पर वे बहुलता को नष्ट करना चाहते हैं। हमें ऐसी विभाजनकारी ताकतों को पनपने नहीं देना चाहिए, अगर उन्हें पनपने दिया गया तो देश और राज्य तबाह हो जाएगा। लोकतंत्र को बचाना हमारा कर्तव्य है।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक और संसदीय प्रणाली भारत के लिए नयी नहीं है, यह बुद्ध और बसवन्ना के काल में भी मौजूद थी। उन्होंने कहा कि 12वीं शताब्दी में ही बसवन्ना और अन्य संतों ने ‘अनुभव मंडप’ की स्थापना करके संसदीय प्रणाली का पालन किया था।

संविधान सभा में 25 नवंबर 1949 को डॉ.भीमराव आम्बेडकर द्वारा दिए गए भाषण को याद करते हुए सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘अपने भाषण में आम्बेडकर ने कहा था कि हम यह कहकर संतुष्ट नहीं हो सकते कि हमें राजनीतिक लोकतंत्र मिल गया है। इसके सफल होने के लिए हर किसी को आर्थिक और सामाजिक लोकतंत्र मिलना चाहिए। जब ​​तक अमीर-गरीब, ऊंची-नीची जातियों के बीच भेदभाव रहेगा, तब तक राजनीतिक लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं है।’’

संविधान की प्रस्तावना और उसके उद्देश्य को समझने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग संविधान को नहीं जानते, वे लोकतंत्र को सफल नहीं बना सकते।