भारत की वृद्धि गाथा बरकरार; भूमि, कृषि बाजारों में सुधार की जरूरत : दास
Focus News 5 September 2024मुंबई, पांच सितंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बृहस्पतिवार को कहा कि उपभोग तथा निवेश मांग में लगातार सुधार के साथ भारत की वृद्धि गाथा बरकरार है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अभी तक किए सुधारों के साथ भूमि, श्रम और कृषि बाजारों में भी सुधार की जरूरत है।
गवर्नर ने वित्तीय संस्थाओं से जोखिम निर्धारण मानकों को कमजोर किए बिना महिलाओं की अगुवाई वाले व्यवसायों और सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के अनुरूप उत्पाद तथा सेवाएं पेश करने को भी कहा।
उद्योग मंडल फिक्की और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित वार्षिक एफआईबीएसी-2024 सम्मेलन में उद्घाटन भाषण में दास ने वित्तीय क्षेत्र को मजबूत करने और उनकी अपेक्षाओं पर बात की।
गवर्नर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता तथा अनुकूल वृद्धि-मुद्रास्फीति संतुलन के साथ आगे बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। विभिन्न क्षेत्रों तथा बाजारों में बड़े पैमाने पर बदलाव हो रहे हैं।
दास ने कहा, ‘‘ देश बदलाव के लिए तैयार है और उन्नत अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में हमारे देश की यात्रा को कई कारकों के अनूठे मिश्रण से बल मिल रहा है। इन कारकों में युवा व ऊर्जावान आबादी, जुझारू व विविध अर्थव्यवस्था, मजबूत लोकतंत्र और उद्यमशीलता व नवोन्मेषण की समृद्ध परंपरा शामिल है।’’
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने 2024-25 की पहली तिमाही में भारत की सकल घरेल उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
गवर्नर ने कहा, ‘‘ पिछली तिमाही की तुलना में वृद्धि में नरमी तथा पहली तिमाही के हमारे अनुमान से कम रहने के बावजूद आंकड़े दर्शाते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था के बुनियादी वृद्धि कारक वास्तव में गति पकड़ रहे हैं। इससे हमें यह कहने का साहस मिलता है कि भारत की वृद्धि की गाथा बरकरार है। ’’
उन्होंने कहा कि निजी खपत सकल घरेलू उत्पाद में करीब 56 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ समग्र मांग का मुख्य आधार है। वह पिछले वर्ष की दूसरी छमाही में चार प्रतिशत की कमजोर वृद्धि की तुलना में बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई है, जो ग्रामीण मांग के पुनरुद्धार का संकेत है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हालांकि, कुल आंकड़े (पहली तिमाही का सकल घरेलू उत्पाद) केंद्र तथा राज्यों दोनों के सरकारी खर्च में कमी से कम रहे..शायद लोकसभा चुनाव के कारण ऐसा हुआ। सरकारी उपभोग व्यय को छोड़कर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत बैठती है।’’
दास ने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र तथा राज्य सरकारों के सरकारी व्यय में वर्ष की शेष तिमाहियों में बजट अनुमानों के अनुरूप गति आने की संभावना है और इससे ‘‘ केंद्रीय बैंक का 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान असंगत नहीं लगता है।’’
अपने भाषण में गवर्नर ने कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) और दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) जैसे सुधारों से दीर्घकालिक सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।
कीमतों के मोर्चे पर उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति की गति अक्सर अस्थिर तथा उच्च खाद्य मुद्रास्फीति से बाधित होती है।
उन्होंने कहा, ‘‘कुल मुद्रास्फीति ही मायने रखती है।’’
गवर्नर ने कहा कि बेहतर मानसून तथा खरीफ की अच्छी बुवाई से खाद्य मुद्रास्फीति का परिदृश्य अधिक अनुकूल हो सकता है।
दास ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र को समावेशी वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल मंच तक पहुंच बढ़ानी चाहिए और उनका इस्तेमाल करना चाहिए।
उन्होंने जोखिम निर्धारण मानकों को कमजोर किए बिना महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों और सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्यम (एमएसएमई) के अनुरूप उत्पाद तथा सेवाएं पेश करने की भी वकालत की।
दास ने कहा कि विवेकपूर्ण ऋण सुनिश्चित करने के लिए ‘यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस’ (यूएलआई) मंच पर केवल विनियमित इकाइयों को ही अनुमति दी जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘ यूएलआई कुछ चुनिंदा कंपनियों का ‘क्लब’ नहीं होगा।’’