बढ़ते रेल हादसे ; दुर्घटनांए या साजिश

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अजय कुमार झा


पिछले कुछ समय में देश के अलग अलग स्थानों पर एक के बाद एक कई रेल दुर्घटनाओं में सैकड़ों निर्दोष यात्रियों की जान चली गई। वे हादसे जो रेलवे की तकनीकी खामियों या मानवीय भूलों के कारण हुईं, उनके मुकाबले वे हादसे भी उतने ही ज्यादा रहे जहां इन हादसों के पीछे आतंकी साजिशों की आहट सुरक्षा एजेंसियों को सुनाई दे चुकी है।  साल 2024 में अब तक 7 बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी है जिनमें 4 हादसे ट्रेनों के पटरी से उतरने के कारण हुए हैं। अभी कल ही कालिंदी एक्सप्रेस को भी पटरी से उतार कर दुर्घटनाग्रस्त करने की साजिश की गई थी. इसे लेकर सर्वोच्च जांच एजेंसियां भी अलर्ट हो चुकी हैं।  पिछले दिनों बार बार वंदे भारत ट्रेन पर पथराव करके उसे अकारण ही निशाना बनाया गया।  

इस साल हुए सभी रेल हादसों में ट्रेनों के पटरियों से उतरने, सिग्नल फेल होने, आगे-पीछे की टक्कर जैसे कई प्रमुख कारण सामने आए हैं। इसके चलते यात्रियों की मौतों और चोटों के साथ रेलवे की संपत्ति को भी भारी नुकसान हुआ है। बड़ी बात यह है कि सरकार पुरानी रेल लाइनों को बदलने, नई ट्रेनें चलाने और मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग को हटाने के लिए लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर रही है लेकिन उसके बाद भी हादसे नहीं रुक रहे हैं।

यदि बिंदुवार देखा जाए तो भारतीय रेल दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण हैं:

मानव त्रुटि: यह सबसे आम कारण है, जिसमें चालक दल, स्टेशन मास्टर या अन्य रेलवे कर्मचारियों द्वारा गलती की जाती है।

ट्रैक की खराबी: ट्रैक की खराबी या रखरखाव में कमी भी दुर्घटनाओं का कारण बन सकती है।

सिग्नलिंग त्रुटि: सिग्नलिंग प्रणाली में त्रुटि या सिग्नलमैन द्वारा गलत सिग्नल देने से दुर्घटनाएं हो सकती हैं।

ओवरस्पीडिंग: ट्रेनों का अधिक गति से चलना भी दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है।

मौसम की खराबी: खराब मौसम जैसे कि बारिश, कोहरा या तूफान भी दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है।ट्रेनों की खराबी: ट्रेनों की खराबी या रखरखाव में कमी भी दुर्घटनाओं का कारण बन सकती है।

आतंकवादी गतिविधियां: कभी-कभी दुर्घटनाएं जानबूझकर की जाती हैं या आतंकवादी गतिविधियों के कारण होती हैं।  इन कारणों को रोकने के लिए भारतीय रेलवे सुरक्षा उपायों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जैसे कि सिग्नलिंग प्रणाली में सुधार, ट्रैक का रखरखाव, और कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना।

हालांकि इन रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भारतीय रेलवे द्वारा कई उपाय किए गए हैं:

सिग्नलिंग प्रणाली में सुधार: आधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है, जो ट्रेनों की गति और स्थिति की निगरानी करती है।

ट्रैक का रखरखाव: ट्रैक का नियमित रखरखाव किया जाता है, जिसमें ट्रैक की मरम्मत और बदलाव शामिल है।

ट्रेनों का रखरखाव: ट्रेनों का नियमित रखरखाव किया जाता है, जिसमें इंजन, ब्रेक और अन्य महत्वपूर्ण प्रणालियों की जांच और मरम्मत शामिल है।

कर्मचारियों को प्रशिक्षण: रेलवे कर्मचारियों को नियमित प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें सुरक्षा प्रक्रियाओं और आपातकालीन स्थिति के प्रबंधन पर ध्यान दिया जाता है।

सुरक्षा निरीक्षण: नियमित सुरक्षा निरीक्षण किया जाता है, जिसमें ट्रैक, ट्रेनें और सिग्नलिंग प्रणाली की जांच की जाती है।तकनीकी उन्नयन: रेलवे प्रणाली में तकनीकी उन्नयन किया जा रहा है, जैसे कि स्वचालित ट्रेन संरक्षण प्रणाली और ट्रेनों में सुरक्षा कैमरों का उपयोग।

आपातकालीन तैयारी: रेलवे आपातकालीन स्थिति के लिए तैयार रहती है, जिसमें दुर्घटना के मामले में त्वरित प्रतिक्रिया और राहत कार्य शामिल है।इन उपायों के माध्यम से, रेलवे दुर्घटनाओं को रोकने और सुरक्षा में सुधार करने का प्रयास कर रही है।

भारतीय रेलों की व्यवस्था और संचालन आदि के लिए और रेल दुर्घटनाओं को रोकने तथा रेलवे सुरक्षा में सुधार करने के लिए कई आयोग भी समय समय पर गठित किए गए : खान आयोग (1978): यह आयोग रेलवे सुरक्षा की समीक्षा करने और सुरक्षा उपायों की सिफारिश करने के लिए गठित किया गया था।दीक्षित आयोग (1998): इस आयोग का गठन रेलवे सुरक्षा में सुधार करने और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए किया गया था। काकोडकर आयोग (2001): यह आयोग रेलवे सुरक्षा की समीक्षा करने और सुरक्षा उपायों की सिफारिश करने के लिए गठित किया गया था।बंसल आयोग (2012): इस आयोग का गठन रेलवे सुरक्षा में सुधार करने और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए किया गया था। इन आयोगों ने रेलवे सुरक्षा में सुधार करने और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कई सिफारिशें की हैं, जिनमें से कई लागू की गई हैं।

यदि आकलन करें तो हम पाएंगे कि विश्व के अन्य देशों की तुलना में भारतीय रेल की स्थिति में सुधार हो रहा है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियां हैं:

सुरक्षा: भारतीय रेल की सुरक्षा रिकॉर्ड अन्य देशों की तुलना में खराब है, लेकिन सुरक्षा उपायों में सुधार किया जा रहा है।

समयबद्धता : भारतीय रेल की समयबद्धता अन्य देशों की तुलना में कम है, लेकिन इस पर भी काम किया जा रहा है।

स्वच्छता: भारतीय रेल की स्वच्छता अन्य देशों की तुलना में कम है, लेकिन स्वच्छता अभियान चलाए जा रहे हैं।

आधुनिकीकरण: भारतीय रेल आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में है, जिसमें नई ट्रेनें, सिग्नलिंग प्रणाली और अन्य बुनियादी ढांचे का उन्नयन शामिल है।

क्षमता: भारतीय रेल की क्षमता अन्य देशों की तुलना में अधिक है, लेकिन इसे और बढ़ाने की आवश्यकता है।कुछ देशों की तुलना में भारतीय रेल की स्थिति बेहतर है, लेकिन अन्य देशों की तुलना में खराब है। भारतीय रेल को और सुधारने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।

भारतीय रेल प्रणाली में सुरक्षा को लेकर कई नए प्रयोग किए गए हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

उन्नत सिग्नलिंग प्रणाली: भारतीय रेलवे ने यूरोपीय ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ईटीसीएस) लेवल 2 को कई मार्गों पर लागू किया है, जिससे ट्रेन नियंत्रण और सुरक्षा में सुधार हुआ है ।

ट्रैक की नियमित जांच और रखरखाव: ट्रैक की नियमित जांच और रखरखाव किया जाता है, जिसमें ट्रैक रिन्यूअल मशीनें और अल्ट्रासोनिक फ्लॉ डिटेक्शन सिस्टम का उपयोग किया जाता है ।

आग सुरक्षा उपाय: ट्रेनों में आग सुरक्षा उपाय किए गए हैं, जिनमें फायर-रेटार्डेंट सामग्री का उपयोग, धुएं और आग का पता लगाने वाली प्रणाली और फायर एक्सटिंग्विशर का उपयोग शामिल है ।

यात्री सुरक्षा उपाय: यात्री सुरक्षा के लिए सीसीटीवी सर्विलांस, आपातकालीन टॉक-बैक सिस्टम और पैनिक बटन का उपयोग किया जाता है ।

आपदा प्रबंधन और आपातकालीन प्रतिक्रिया: भारतीय रेलवे ने आपदा प्रबंधन प्रोटोकॉल बनाए हैं, जिसमें आपातकालीन स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया के लिए डिजास्टर मैनेजमेंट टीमें और क्विक रेस्पॉन्स यूनिट्स का उपयोग किया जाता है ।

रेलवे स्टेशनों के सौंदर्यीकरण से यात्री के अनुभव में सुधार हो सकता है लेकिन सुरक्षा उपायों में निवेश करना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। सुरक्षा में कमियों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिनमें जान और माल की हानि शामिल है, जबकि सौंदर्यीकरण अधिक एक सौंदर्य संबंधी चिंता है।

भारतीय रेलवे को सुरक्षा संबंधी चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जैसे कि:निगरानी और निगरानी प्रणालियों में सुधार करना , एक्सेस नियंत्रण और स्क्रीनिंग उपायों में सुधार करना,सुरक्षा कर्मियों की उपस्थिति में वृद्धि करना, उन्नत प्रौद्योगिकियों जैसे कि एआई-संचालित सुरक्षा प्रणालियों को लागू करना, नियमित सुरक्षा ऑडिट और ड्रिल आयोजित करना। सुरक्षा को प्राथमिकता देकर, भारतीय रेलवे यात्रियों के लिए एक सुरक्षित यात्रा अनुभव सुनिश्चित कर सकती है, जो रेलवे नेटवर्क में विश्वास और विश्वास बनाने के लिए आवश्यक है। सौंदर्यीकरण को सुरक्षा चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित किए जाने के बाद किया जा सकता है।