यदि शिवाजी की प्रतिमा ‘स्टेनलेस स्टील’ की बनायी गयी होती तो नहीं गिरती: गडकरी

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नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि महाराष्ट्र में सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के निर्माण में अगर ‘स्टेनलेस स्टील’ का इस्तेमाल किया गया होता तो वह नहीं गिरती।

गडकरी ने तटीय क्षेत्रों में जंगरोधी उत्पादों के उपयोग पर भी जोर दिया।

मराठा राज्य के प्रतिष्ठित संस्थापक शिवाजी महाराज की प्रतिमा के 26 अगस्त को ढ़ह जाने से महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक विवाद शुरू हो गया।

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री गडकरी ने कहा कि वह पिछले तीन सालों से इस बात के लिए दबाव बना रहे हैं कि समुद्र से सटे पुलों के निर्माण में ‘स्टेनलेस स्टील’ का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

महाराष्ट्र के लोक निर्माण मंत्री के तौर पर अपने पुराने दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वह मुंबई में 55 फ्लाईओवर बनवा रहे थे और एक व्यक्ति ने उन्हें बेवकूफ बनाया।

उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘उन्होंने लोहे की छड़ों पर कोई ‘पाउडर कोटिंग’ लगाई और कहा कि वे जंगरोधी हैं। लेकिन उनमें जंग लग गई। मेरा मानना ​​है कि समुद्र के 30 किलोमीटर के दायरे में ‘स्टेनलेस स्टील’ का इस्तेमाल ही किया जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा के लिए ‘स्टेनलेस स्टील’ का इस्तेमाल किया गया होता, तो वह कभी नहीं गिरती।’’

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में पुलिस ने राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के ढहने के सिलसिले में ठेकेदार जयदीप आप्टे के खिलाफ ‘लुकआउट सर्कुलर’ (एलओसी) जारी किया है।

आप्टे को देश से भागने से रोकने के लिए हवाई अड्डों और अन्य सभी निकास मार्गों पर एलओसी जारी किया गया है। ठाणे के रहने वाले मूर्तिकार आप्टे ने मूर्ति बनाने का ठेका लिया था।

इस प्रतिमा के गिरने के बाद मालवण पुलिस ने आप्टे और ‘स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट’ चेतन पाटिल के खिलाफ लापरवाही और अन्य अपराधों के लिए मामला दर्ज किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उद्घाटन किये जाने के बाद नौ माह से भी कम समय में यह प्रतिमा 26 अगस्त को गिर गयी थी।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पाटिल को कोल्हापुर से गिरफ्तार किया गया जबकि आप्टे की तलाश की जा रही है। अब मालवण पुलिस ने उसके खिलाफ एलओसी जारी किया है।

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