बीस साल में पहली बार शतरंज ओलंपियाड जीतने की खुशी है: हरिका

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नयी दिल्ली, अनुभवी डी हरिका को प्रतिष्ठित शतरंज ओलंपियाड खिताब जीतने के अपने सपने को साकार करने के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा लेकिन उन्हें बुडापेस्ट में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं करने के बाद भी इस खिताब को जीतने की खुशी है।

  भारत ने रविवार को शतरंज ओलंपियाड में इतिहास रच दिया जब उसकी पुरुष और महिला टीमों ने अंतिम दौर के मैचों में क्रमश: स्लोवेनिया और अजरबैजान को हराकर दोनों वर्गों में स्वर्ण पदक जीते।

अजरबैजान के खिलाफ महिला टीम के लिए 33 वर्षीय हरिका ने लय में वापसी करते हुए जीत दर्ज की, जबकि 18 वर्षीय दिव्या देशमुख ने तीसरे बोर्ड पर गोवर बेयदुल्यायेवा को पछाड़ कर अपना व्यक्तिगत स्वर्ण पदक भी पक्का किया।

हरिका ने कहा, ‘‘ मेरे लिए जाहिर तौर पर यह इन लोगों (टीम के साथी खिलाडियों) से ज्यादा भावुक क्षण है। मैं लगभग 20 साल से खेल रही हूं लेकिन पहली बार स्वर्ण पदक जीतने का मौका मिला है।‘‘

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं इन खिलाड़ियों के लिए काफी खुश और गर्व महसूस कर रही हूं। युवा खिलाड़ियों ने टीम के लिए काफी अच्छा प्रदर्शन किया।‘‘

उन्होंने कहा, ‘‘ शायद मेरा प्रदर्शन संतोषजनक नहीं था लेकिन टीम के स्वर्ण पदक से मैं सब कुछ भूलने में सफल रही। मुझे खुशी है कि हम निराशा को पीछे छोड़कर मजबूत वापसी करने में सफल रहे।’’

भारतीय महिला टीम के इस अभियान में सबसे शानदार प्रदर्शन दिव्या ने किया। हाल ही में गांधीनगर में विश्व जूनियर शतरंज चैंपियनशिप में लड़कियों के वर्ग में जीत दर्ज करने वाली इस खिलाड़ी ने टीम के लिए सबसे ज्यादा मैच जीते।

  दिव्या ने कहा, ‘‘इसकी शुरुआत काफी अच्छी रही, लेकिन बीच में हमें कुछ सफलता मिली और जिस तरह से मैंने और मेरी टीम ने इसे संभाला उस पर मुझे गर्व है। हमने दृढ़ता के साथ मुकाबला किया और आखिरकार हम स्वर्ण पदक के साथ यहां हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं अभी भावनाओं से भरी हुई हूं। मैं काफी खुश हूं। मैंने यहां अच्छा प्रदर्शन किया है।’’

दिव्या से जब इस ओलंपियाड के सभी 11 मैचों को खेलने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘ यह करो या मरो जैसे हालात थे, आपको देश के लिए सब कुछ झोंकना होता है।’’

दिव्या तीसरे बोर्ड पर 11 में से 9.5 अंक हासिल कर व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने में भी सफल रही।

तानिया सचदेव को ज्यादा मैच खेलने का मौका नहीं मिला लेकिन उन्होंने पांचवें बोर्ड पर अपने प्रदर्शन से टीम को निराश नहीं किया।

अपने पांच मुकाबलों से 3.5 अंक हासिल करने वाली तानिया ने कहा, ‘‘यह वह क्षण है, मुझे लगता है कि हम इसके लिए ही बने थे। पिछली बार ( 2022 में टीम मामूली अंतर से चूक कर कांस्य पदक जीती थी) ऐसा नहीं हुआ। पिछली बार कांस्य पदक का जश्न मनाना कठिन था लेकिन मैं अभी बहुत खुश हूं।’’

दिव्या के साथ ही वंतिका अग्रवाल ने भी अपने खेल से सबसे ज्यादा प्रभावित किया। उन्होंने नौ मैचों से 7.5 अंक हासिल किये और चौथे बोर्ड की स्वर्ण पदक विजेता बनी।

आर वैशाली अंतिम चार मैचों से टीम को एक ही अंक दिला सकी लेकिन इससे पहले छह मैचों में उन्होंने पांच अंक हासिल कर टीम को बेहतर शुरुआत दिलाई थी।

भारतीय महिला टीम के कप्तान अभिजीत कुंटे ने सभी खिलाड़ियों की सराहना की।

उन्होंने कहा, ‘‘ आखिरी दो राउंड बहुत महत्वपूर्ण थे, दिव्या और वंतिका ने बहुत अच्छा खेला। आखिर में वैशाली को कुछ झटके लगे लेकिन उस समय हरिका ने लय हासिल कर ली थी और तानिया ने हमें अच्छी शुरुआत दिलायी।’’

 

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