नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) स्वास्थ्य व जीवन बीमा प्रीमियम पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कम करने का निर्णय लेने के लिए मंत्रिस्तरीय समिति की पहली बैठक 19 अक्टूबर को होगी।
बीमा प्रीमियम पर वर्तमान में 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाता है। इस कर को हटाने या कम करने की मांग की जा रही है।
जीएसटी परिषद ने इस महीने की शुरुआत में अपनी बैठक में स्वास्थ्य व जीवन बीमा प्रीमियम पर कर के बारे में निर्णय लेने के लिए 13 सदस्यीय मंत्री समूह गठित करने का निर्णय लिया था।
बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी मंत्री समूह के संयोजक हैं।
इसमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, मेघालय, पंजाब, तमिलनाडु और तेलंगाना के मंत्री शामिल हैं।
मंत्री समूह को अक्टूबर के अंत तक परिषद को अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।
बीमा प्रीमियम पर कर के मुद्दे पर परिषद द्वारा अंतिम निर्णय नवंबर में होने वाली अगली बैठक में लिया जाएगा, जो मंत्रिसमूह की रिपोर्ट पर आधारित होगी।
अधिकारी ने कहा, ‘‘ बीमा पर जीएसटी के मुद्दे पर मंत्रिसमूह की बैठक 19 अक्टूबर को दिल्ली में होगी। ’’
समिति के विचारार्थ विषयों (टीओआर) में स्वास्थ्य/चिकित्सकीय बीमा जिसमें व्यक्तिगत, समूह, ‘फैमिली फ्लोटर’ तथा वरिष्ठ नागरिकों, मध्यम वर्ग, मानसिक बीमारी से ग्रसित लोगों जैसी विभिन्न श्रेणियों के लिए अन्य चिकित्सकीय बीमा शामिल हैं। साथ ही उनकी कर दर पर भी चर्चा होगी।
टीओआर में जीवन बीमा पर कर की दरें सुझाने का भी प्रावधान है। इसमें टर्म इंश्योरेंस, निवेश योजनाओं के साथ जीवन बीमा, चाहे वह व्यक्तिगत हो या समूह तथा पुनर्बीमा शामिल है।
पश्चिम बंगाल सहित विपक्षी दल शासित कुछ राज्यों ने स्वास्थ्य व जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी से पूरी छूट की मांग की है जबकि कुछ अन्य राज्य कर को घटाकर पांच प्रतिशत करने के पक्ष में थे।
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी जुलाई में इस मुद्दे पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कहा था कि ‘‘ जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी लगाना जीवन की अनिश्चितताओं पर कर लगाने के समान है।’’
वित्त वर्ष 2023-24 में केंद्र और राज्यों ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी के जरिये 8,262.94 करोड़ रुपये एकत्र किए, जबकि स्वास्थ्य पुनर्बीमा प्रीमियम पर जीएसटी से 1,484.36 करोड़ रुपये हासिल किए गए।
सीतारमण ने अगस्त में लोकसभा में वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान अपने जवाब में कहा था कि जीएसटी संग्रह का 75 प्रतिशत राज्यों को जाता है और विपक्षी सदस्यों को अपने राज्यों के वित्त मंत्रियों से जीएसटी परिषद में प्रस्ताव लाने के लिए कहना चाहिए।