आबकारी नीति मामला: न्यायालय ने केजरीवाल की याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रखा

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नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने आबकारी नीति ‘‘घोटाले’’ में जमानत के अनुरोध और सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिकाओं पर बृहस्पतिवार को आदेश सुरक्षित रख लिया।

इससे पहले, केजरीवाल के जमानत अनुरोध और गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिकाओं की विचारणीयता पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने शीर्ष अदालत से कहा कि उन्हें कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में जमानत के लिए पहले निचली अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए था।

केंद्रीय एजेंसी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ के समक्ष कहा कि धनशोधन के मामले में भी केजरीवाल की याचिका को शीर्ष अदालत ने निचली अदालत को वापस भेज दिया था। इस याचिका में केजरीवाल ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी।

राजू ने कहा, ‘‘उन्होंने सत्र अदालत में जाए बिना सीधे दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 439 के तहत, दोनों का समवर्ती क्षेत्राधिकार है। मेरी प्रारंभिक आपत्ति यह है कि उन्हें पहले निचली अदालत जाना चाहिए।’’

विधि अधिकारी ने कहा कि सीबीआई ने सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत केजरीवाल को नोटिस जारी नहीं किया क्योंकि वह पहले से ही न्यायिक हिरासत में थे।

इससे पहले, केजरीवाल ने शीर्ष अदालत से कहा कि कथित आबकारी नीति घोटाले में सीबीआई ने उन्हें लगभग दो साल तक गिरफ्तार नहीं किया और ईडी द्वारा दायर धनशोधन मामले में जमानत मिलने के बाद 26 जून को उनकी गिरफ्तारी की गई।

मुख्यमंत्री की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने पीठ को बताया कि केजरीवाल को उनकी गिरफ्तारी से पहले सीबीआई द्वारा कोई नोटिस नहीं दिया गया था और निचली अदालत ने एक पक्षीय गिरफ्तारी आदेश पारित किया था।

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता के लिए जमानत की मांग करते हुए सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल एक संवैधानिक पदाधिकारी हैं और उनके भागने का खतरा नहीं है।

सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल का नाम भी सीबीआई की प्राथमिकी में नहीं है।

उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने धनशोधन मामले में उन्हें अंतरिम जमानत देते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री समाज के लिए खतरा नहीं हैं।

सिंघवी ने कहा, ‘‘अगस्त 2023 में जो शुरू हुआ, उसके कारण इस साल मार्च में धनशोधन मामले में गिरफ्तारी हुई।’’ उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत और एक निचली अदालत पहले ही उन्हें जमानत दे चुकी है।

न्यायालय ने दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।

केजरीवाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जमानत से इनकार किए जाने और सीबीआई द्वारा उन्हें गिरफ्तार किए जाने को चुनौती देते हुए दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं।

आप प्रमुख को 26 जून को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।

शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था और उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर जांच एजेंसी से जवाब मांगा था।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 5 अगस्त को उनकी गिरफ्तारी को वैध ठहराया था और कहा था कि सीबीआई की कार्रवाई में कोई दुर्भावना नहीं थी।

उच्च न्यायालय ने उन्हें सीबीआई के मामले में नियमित जमानत के लिए निचली अदालत जाने को कहा था।

दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच का आदेश सीबीआई को दिए जाने के बाद 2022 में आबकारी नीति को रद्द कर दिया गया था।

सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।