कोलकाता, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा कि राज्य सरकार दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के साथ सभी समझौतों को रद्द कर देगी क्योंकि निगम द्वारा एक तरफा ढंग से पानी छोड़ने के परिणामस्वरूप दक्षिण बंगाल के जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
मोदी को लिखे चार पन्ने के पत्र में उन्होंने कहा कि बाढ़ के कारण बंगाल में 50 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री से व्यापक तबाही से निपटने के लिए केंद्रीय निधि से तुरंत राशि जारी करने का अनुरोध किया।
उन्होंने लिखा, ‘‘ मैं आपका ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित करना चाहूंती हूं कि डीवीसी के स्वामित्व और रखरखाव वाले मैथन और पंचेत बांधों की संयुक्त प्रणाली से लगभग पांच लाख क्यूसेक पानी अभूतपूर्व, अनियोजित और एकतरफा तरीके से छोड़ा गया जिसकी वजह से दक्षिण बंगाल के सभी जिले विनाशकारी बाढ़ में डूब गए हैं, जिससे आम लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।’’
ममता बनर्जी ने चेतावनी देते हुए लिखा, ‘‘यदि यह एकतरफा दृष्टिकोण जारी रहा, जिससे मेरे राज्य के लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ा तो हमारे पास डीवीसी से पूरी तरह से अलग होने और अपनी भागीदारी वापस लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। हम इस जारी अन्याय को साल दर साल अपने लोगों को प्रभावित करने की अनुमति नहीं दे सकते।’’
उन्होंने दावा किया कि बाढ़ से पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्धमान, पश्चिम बर्धमान, बीरभूम, बांकुड़ा, हावड़ा, हुगली, पूर्व मेदिनीपुर और पश्चिम मेदिनीपुर जिले प्रभावित हैं। बनर्जी ने कहा, ‘‘राज्य के निचले दामोदर और आसपास के इलाकों में 2009 के बाद सबसे भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है। 1,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र प्रभावित है और राज्य के लगभग 50 लाख लोग फसलों के नुकसान, सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और घरों, मवेशियों सहित निजी संपत्तियों के नुकसान के कारण दुखों के भंवर में फंस गए हैं… मैं इसे मानव निर्मित बाढ़ कहने के लिए मजबूर हूं।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले ही खतरे के निशान के करीब बह रही नदियों के निचले प्रवाह की गंभीर स्थिति के बारे में राज्य सरकार के अधिकारियों ने डीवीसी अधिकारियों को बताया और साथ ही समय-समय पर छोड़े जाने वाले पानी को स्थगित करने का अनुरोध भी किया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने 16 सितंबर की रात को डीवीसी के अध्यक्ष से भी फोन पर बात की थी।’’
बनर्जी ने कहा, ‘‘17 सितंबर को संयुक्त जल निकासी 90,000 क्यूसेक से अचानक नौ घंटे के भीतर 2,50,000 क्यूसेक तक बढ़ा दी गई, जो लंबे समय तक जारी रही।’’