हरियाणा चुनाव: उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा के लिए भाजपा के शीर्ष नेताओं ने की बैठक

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नयी दिल्ली,  केंद्रीय मंत्री अमित शाह सहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं ने आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा करने के वास्ते बृहस्पतिवार को यहां पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर बैठक की।

भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की आज शाम होने वाली बैठक से पहले इसमें संभावित उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा हुई। सीईसी की बैठक में उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप दिया जाएगा।

सीईसी की बैठक में भाजपा अध्यक्ष नड्डा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय मंत्री शाह एवं राजनाथ सिंह समेत अन्य सदस्य शामिल होंगे।

इनके अलावा हरियाणा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और सह-प्रभारी बिप्लव देब, प्रदेश प्रभारी सतीश पूनिया, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बडौली और अन्य वरिष्ठ नेताओं के भी इस बैठक में मौजूद रहने की संभावना है।

नड्डा के आवास पर कोर ग्रुप की बैठक में शाह के अलावा धर्मेंद्र प्रधान, मनोहर लाल खट्टर, मुख्यमंत्री सैनी और हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष बडोली भी शामिल थे।

इससे पहले प्रधान ने अपने आवास पर हरियाणा भाजपा नेताओं के साथ बैठक की।

हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए एक अक्टूबर को मतदान होगा। मतगणना चार अक्टूबर को होगी।

हरियाणा में वर्तमान में भाजपा की सरकार है। उसकी चुनौती राज्य में अपनी सत्ता बरकरार रखना है। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में राज्य में विपक्षी वोटों के एकजुट होने से भाजपा की सीटों की संख्या घटकर पांच रह गई तथा शेष सीट कांग्रेस के खाते में चली गईं। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य में सभी 10 सीट पर जीत हासिल की थी।

पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा 40 सीट मिलीं। कांग्रेस 31 सीट जीतकर मुख्य विपक्षी पार्टी बनी। विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी (जजपा) 10 सीट जीतने में सफल रही। सात सीटें निर्दलीय को, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) को एक और हरियाणा लोकहित पार्टी को एक सीट पर जीत मिली।

बाद में भाजपा ने जजपा के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाई। मनोहर लाल खट्टर फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने जबकि जजपा के दुष्यंत चौटाला उपमुख्यमंत्री बने। हालांकि लोकसभा चुनाव में सीट साझेदारी को लेकर असहमति के बाद यह गठबंधन टूट गया। बाद में भाजपा ने निर्दलीय विधायकों के समर्थन के दम पर अपनी सरकार बचा ली।

कुछ दिनों के बाद भाजपा ने खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया और नायक सिंह सैनी को राज्य की कमान सौंपी।