नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) देश में इस्पात मूल्य शृंखला में प्रक्रिया और डिजिटल प्रौद्योगिकियों में निवेश 2030 तक बढ़कर 2.7 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।
उद्योग मंडल फिक्की और ऑडिट व परामर्श कंपनी डेलॉयट की बृहस्पतिवार को जारी संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, ये निवेश तकनीकी क्षमताओं को आगे बढ़ाएंगे और अधिक कुशल और पर्यावरण अनुकूल खनन तथा इस्पात उद्योग की दिशा में प्रगति को बढ़ावा देंगे।
‘भारतीय खनन और इस्पात क्षेत्र के लिए स्वचालन, डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी एकीकरण’ पर रिपोर्ट में कहा गया, “भारत में इस्पात मूल्य शृंखला में प्रक्रिया और डिजिटल प्रौद्योगिकियों में निवेश 2024 में 1-1.2 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 2.3-2.7 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इसमें ईआरपी (एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग) को अद्यतन बनाना शामिल नहीं है।”
वर्ष 2030 घरेलू इस्पात उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि सरकार की राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 का लक्ष्य 2030 तक भारत की स्थापित इस्पात निर्माण क्षमता को बढ़ाकर 30 करोड़ टन तक करना है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत 160 किलोग्राम और 2047 तक लगभग 220 किलोग्राम तक पहुंचने का अनुमान है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल उपकरण बेहतर ऊर्जा दक्षता और उत्सर्जन निगरानी के माध्यम से पर्यावरण नियमों के अनुपालन को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
डेलॉयट इंडिया के साझेदार राजीब मैत्रा ने कहा, “कृत्रिम मेधा (एआई) और डिजिटल प्रौद्योगिकियों में नवाचारों से प्रेरित भारतीय खनन और इस्पात क्षेत्र परिवर्तन के मार्ग पर है। जमीनी स्तर पर परिचालकों को नई प्रणालियों को पुराने बुनियादी ढांचे के साथ एकीकृत करने और तकनीकी उन्नयन से जुड़ी लागतों का प्रबंधन करने जैसी व्यावहारिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।”