मुंबई/नागपुर, एक अगस्त (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना (यूबीटी)प्रमुख उद्धव ठाकरे पर बृहस्पतिवार को निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग दूसरों को चुनौती देने की बात कर रहे हैं, उन्हें यह पता करना चाहिए कि क्या उनमें ऐसा करने की ताकत है।
ठाकरे ने बुधवार को फडणवीस को चुनौती देते हुए कहा, ‘‘या तो आप वहां होंगे, या मैं।’’
ठाकरे ने कहा, ‘‘अनिल देशमुख ने हाल ही में कहा था कि कैसे फडणवीस ने मुझे और (उद्धव के बेटे) आदित्य को सलाखों के पीछे डालने की योजना बनायी थी। सब कुछ सहन करने के बाद, अब मैं दृढ़ संकल्प के साथ खड़ा हूं। या तो आप वहां होंगे, या मैं रहूंगा।’’
ठाकरे ने यह बात कहकर संकेत दिया कि दो पूर्व अच्छे मित्रों के बीच संबंध कितने कटु हो गए हैं।
शिंदे ने कहा कि राजनीति में किसी को भी दूसरों को पूरी तरह से खत्म करने की बात नहीं करनी चाहिए।
शिंदे ने कहा, “जो लोग चुनौती देने की बात करते हैं, उन्हें समझना चाहिए कि हम कहां खड़े हैं। इसके लिए किसी व्यक्ति को ताकत की जरूरत होती है। बेतरतीब टिप्पणी करने की तरह, कोई भी दूसरे को खत्म नहीं कर सकता।”
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने नागपुर में संवाददाताओं से कहा कि ठाकरे की भाषा उनके मानसिक दिवालियापन को दर्शाती है।
बावनकुले ने कहा, “ठाकरे कोंकण और मुंबई में अपनी पार्टी के गिरते मत प्रतिशत को लेकर चिंतित हैं। जिस दिन उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया, उनके समर्थकों ने उनका साथ छोड़ दिया। जब वे भाजपा के साथ गठबंधन में थे, तो उन्होंने 18 लोकसभा सीट जीती थीं, लेकिन अब सीट की संख्या में गिरावट आई है। ठाकरे इतना नीचे गिरकर और फडणवीस पर हमला करके अपना मानसिक दिवालियापन दिखा रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ हैं और महायुति (शिवसेना, भाजपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का सत्तारूढ़ गठबंधन) विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करेगी।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष (जेपी नड्डा की जगह जो अब केंद्रीय मंत्री हैं) पद पर फडणवीस के नाम पर विचार किए जाने की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर बावनकुले ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि केंद्रीय नेतृत्व क्या फैसला करेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, देवेंद्र फडणवीस के पास बहुत बड़ा संगठनात्मक अनुभव है। उन्होंने महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष के रूप में काम किया है और उन्हें राष्ट्रीय संगठनात्मक अनुभव भी है, लेकिन महाराष्ट्र को देवेंद्र फडणवीस की दृष्टि की जरूरत है।’’