सेबी प्रमुख ने हिंडनबर्ग के लगाए आरोपों को आधारहीन, चरित्र हनन बताया
Focus News 11 August 2024नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने संदेह जताया है कि अदाणी समूह के खिलाफ कार्रवाई करने में पूंजी बाजार नियामक सेबी की अनिच्छा का कारण सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति की अदाणी समूह से जुड़े विदेशी कोष में हिस्सेदारी हो सकती है। हालांकि सेबी प्रमुख ने इस आरोप को ‘आधारहीन’ और ‘चरित्र हनन’ का प्रयास बताया है।
हिंडनबर्ग ने शनिवार देर रात जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख बुच और उनके पति धवल बुच के पास उस विदेशी कोष में हिस्सेदारी है, जिसका इस्तेमाल अदाणी समूह में धन की कथित हेराफेरी के लिए किया गया था।
हिंडनबर्ग के मुताबिक, बुच और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था। उसने कहा कि ये वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अदाणी ने पैसों की हेराफेरी करने और समूक की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया था। विनोद अदाणी, अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं।
हिंडनबर्ग ने जनवरी, 2023 में जारी अपनी पिछली रिपोर्ट में अदाणी समूह पर वित्तीय लेनदेन में गड़बड़ी और शेयरों की कीमतें चढ़ाने के लिए विदेश कोष के दुरुपयोग के आरोप लगाए गए थे। हालांकि अदाणी समूह ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि वह नियामकीय प्रावधानों का पालन करता है।
इस बीच, कांग्रेस ने केंद्र से अदाणी समूह की नियामकीय जांच में हितों के सभी टकरावों को खत्म करने के लिए तुरंत कार्रवाई करने की मांग की है। मुख्य विपक्षी दल ने देश के शीर्ष अधिकारियों की कथित मिलीभगत का पता लगाने और ‘घोटाले’ की पूरी जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की भी मांग की है।
वहीं सेबी प्रमुख और उनके पति ने एक संयुक्त बयान जारी कर हिंडनबर्ग के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे पूरी तरह से बेबुनियाद बताया है।
बुच दंपति ने कहा, ‘‘रिपोर्ट में लगाए गए आरोप पूरी तरह से आधारहीन और बेबुनियाद हैं। इनमें तनिक भी सच्चाई नहीं है। हमारा जीवन और वित्तीय स्थिति एक खुली किताब की तरह है। सभी जरूरी खुलासे पहले ही वर्षों से सेबी को दिये जा चुके हैं। हमें किसी भी वित्तीय दस्तावेज का खुलासा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है।’’
बुच ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ सेबी ने प्रवर्तन कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस जारी किया है, उसी के जवाब में हमें ही घेरने और चरित्र हनन करने का प्रयास किया गया है।’’
हालांकि बुच दंपती ने अदाणी समूह के खिलाफ सेबी की जांच को लेकर हिंडनबर्ग की तरफ से लगाए गए आरोपों पर कुछ नहीं कहा है। लेकिन उन्होंने कहा कि नियत समय में एक विस्तृत बयान जारी किया जाएगा।
हिंडनबर्ग ने शनिवार रात को एक ब्लॉगपोस्ट में कहा कि माधवी और उनके पति ने ऑफशोर इकाइयों में निवेश किया जो कथित तौर पर इंडिया इन्फोलाइन (आईआईएफएल) द्वारा प्रबंधित फंड का हिस्सा थे और उसमें विनोद अदाणी ने भी निवेश किया था।
हिंडनबर्ग के मुताबिक, कथित तौर पर ये निवेश 2015 में किए गए थे। वर्ष 2017 में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में माधवी पुरी बुच की नियुक्ति और मार्च 2022 में इसका चेयरपर्सन बनने से काफी पहले ये निवेश किए गए थे।
इसके मुताबिक, बरमूडा स्थित ग्लोबल ऑपर्च्युनिटीज फंड भी इस फंड में निवेश करने वालों में शामिल था। अदाणी समूह से जुड़ी इकाइयों द्वारा समूह की कंपनियों के शेयरों में कारोबार के लिए कथित तौर पर ग्लोबल ऑपर्च्युनिटीज फंड का ही इस्तेमाल किया गया था।
निवेश कंपनी ने ‘व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों’ का हवाला देते हुए कहा, “सेबी की वर्तमान प्रमुख बुच और उनके पति के पास अदाणी समूह में धन के हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ‘ऑफशोर फंड’ में हिस्सेदारी थी।” विदेशी बाजारों में निवेश करने वाले फंड को ऑफशोर फंड या विदेशी कोष कहते हैं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि विनोद अदाणी अस्पष्ट विदेशी कोष बरमूडा और मॉरीशस कोषों को नियंत्रित करते थे। हिंडनबर्ग का आरोप है कि इन कोषों का इस्तेमाल धन की हेराफेरी करने और समूह के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए किया गया था।
हिंडनबर्ग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा, “आईआईएफएल में एक प्रमुख के हस्ताक्षर वाले फंड की घोषणा में कहा गया है कि निवेश का स्रोत ‘वेतन’ है और दंपति की कुल संपत्ति एक करोड़ अमेरिकी डॉलर आंकी गई है।”
रिपोर्ट के मुताबिक, “दस्तावेजों से पता चलता है कि अच्छी साख वाले हजारों भारतीय म्यूचुअल फंड होने के बावजूद सेबी की चेयरपर्सन माधवी बुच और उनके पति ने कम परिसंपत्तियों के साथ एक बहुस्तरीय विदेशी कोष में हिस्सेदारी ली थी।”
हिंडनबर्ग ने कहा कि इनकी परिसंपत्तियां उच्च जोखिम वाले अधिकार क्षेत्र से होकर गुजरती थीं। इसकी देखरेख घोटाले से कथित तौर पर जुड़ी एक कंपनी करती थी। यह वही इकाई है, जिसे अदाणी के निदेशक चलाते थे और विनोद अदाणी ने कथित अदाणी नकदी हेरफेर घोटाले में महत्वपूर्ण रूप से उपयोग किया था।
रिपोर्ट में उच्चतम न्यायालय के उस आदेश का हवाला भी दिया गया है जिसमें कहा गया था कि सेबी इस बात की जांच में खाली हाथ रहा कि अदाणी के कथित विदेशी शेयरधारकों का वित्तपोषण किसने किया था।
हिंडनबर्ग ने कहा, “अगर सेबी वास्तव में विदेशी कोष धारकों को ढूंढना चाहता था तो शायद सेबी प्रमुख खुद को आईने में देखकर इसकी शुरुआत कर सकती थीं।”
इसमें कहा गया, “हमें यह आश्चर्यजनक नहीं लगता कि सेबी उस मामले का पीछा नहीं करना चाहता था, जो उसके अपने प्रमुख तक जाता था।”
सेबी ने इस साल 26 जून को हिंडनबर्ग को एक कारण बताओ नोटिस भेजकर “जानबूझकर सनसनी फैलाने और कुछ तथ्यों को विकृत करने” के साथ अपना दांव लगाने के लिए न्यूयॉर्क हेज फंड के साथ काम करने का आरोप लगाया था।
इससे पहले जनवरी, 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया था कि अदाणी समूह ‘खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है। उस समय अदाणी समूह की प्रमुख कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज 20,000 करोड़ रुपये का अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) लाने की तैयारी कर रही थी।
विविध कारोबारों में सक्रिय समूह ने कहा था, ‘‘रिपोर्ट कुछ और नहीं बल्कि चुनिंदा गलत और निराधार सूचनाओं को लेकर तैयार की गयी है और जिसका मकसद पूरी तरीके से दुर्भावनापूर्ण है। जिन बातों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गयी है, उसे भारत की अदालतें भी खारिज कर चुकी हैं।’’
रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई थी लेकिन कुछ महीने बाद ही यह नुकसान से उबरने में कामयाब रहा।