नयी दिल्ली, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम सिंधिया ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि बीते दस साल में केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता देते हुए उसके लिए 5.15 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए जबकि कभी इस क्षेत्र को देश का अंतिम हिस्सा माना जाता था।
सिंधिया ने प्रश्नकाल के दौरान उच्च सदन में पूरक प्रश्नों के जवाब में कहा कि भारत के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक एजेंडा में अरुणाचल प्रदेश सहित पूर्वोत्तर राज्यों का खास स्थान है।
उन्होंने कहा कि एक समय था जब पूर्वोत्तर क्षेत्र को देश के अंतिम हिस्से के तौर पर देखा जाता था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने इस धारणा को तोड़ने का प्रयास किया और इस क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता देते हुए इसे मुख्यधारा से जोड़ने के लिए हरसंभव प्रयास किए।
उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर के विकास के लिए बीते दस साल में 5.22 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसके लिए आवंटन 5.15 लाख करोड़ था। उन्होंने कहा ‘‘ देश के 75 साल के इतिहास में पूर्वोत्तर के लिए इतना आवंटन कभी नहीं हुआ। यहां तक की पूर्वोत्तर राज्यों के लिए पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा आवंटित बजट की तुलना में मोदी सरकार ने यहां के लिए साढ़े तीन गुना बजट बढ़ाया। खर्च भी बढ़ा।’’
सिंधिया ने बताया कि पूर्वोत्तर के लिए 2021-22 में खर्च दर 103 फीसदी, 2022-23 में 113 फीसदी और फिर 2023-24 में 112 फीसदी थी।
उन्होंने कहा कि पिछले साल एक लाख करोड़ रुपये पूर्वोत्तर के विकास के लिए खर्च किए गए और यह अभूतपूर्व है। उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर में पांच योजनाओं के तहत 271 परियोजना स्वीकृत की गयी, जिनके लिए आवंटन 5663 करोड़ रुपये का स्वीकृत कोष हैं।
उन्होंने नगालैंड में सड़कों और अवसंरचनाओं के विकास के बारे में पूछे गए पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि नगालैंड में 210 करोड़ रुपये की लागत वाली अवसंरचना विकास की 19 परियोजनाओं को तथा 800 करोड़ रुपये की लागत वाली सड़क संबंधी 15 परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है।