रिलायंस होम फाइनेंस, रिलायंस पावर के शेयर निचली सर्किट सीमा में पहुंचे

नयी दिल्ली, 26 अगस्त (भाषा) उद्योगपति अनिल अंबानी की अगुवाई वाली समूह कंपनियों रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड, रिलायंस पावर और रिलायंस कम्युनिकेशंस के शेयर सोमवार को निचली सर्किट सीमा में पहुंच गए।

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के उद्योगपति और 24 अन्य को रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड से धन के हेर-फेर के आरोप में पांच साल के लिए प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित करने के बाद से इन कंपनियों के शेयर में गिरावट जारी है।

बीएसई पर रिलायंस पावर का शेयर 4.99 प्रतिशत गिरकर 32.73 रुपये की निचली सर्किट सीमा पर पहुंच गया। रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड का शेयर 4.93 प्रतिशत गिरकर 4.24 रुपये पर रहा।

रिलायंस कम्युनिकेशंस के शेयर में 4.92 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 2.32 रुपये के निचली सर्किट पर पहुंच गया। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का शेयर भी 2.90 प्रतिशत की गिरावट के साथ 205.55 रुपये पर आ गया।

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस होम फाइनेंस और रिलायंस पावर के शेयरों में शुक्रवार को भी गिरावट आई थी।

गौरतलब है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उद्योगपति अनिल अंबानी तथा रिलायंस होम फाइनेंस के पूर्व प्रमुख अधिकारियों समेत 24 अन्य को कंपनी से धन के हेर-फेर के मामले में प्रतिभूति बाजार से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।

सेबी ने अंबानी पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अंबानी को किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार नियामक के साथ पंजीकृत किसी भी इकाई में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद (केएमपी) लेने से भी पांच साल के लिए रोक लगा दी है।

इसके अलावा 24 इकाइयों पर 21 करोड़ रुपये से लेकर 25 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है। साथ ही नियामक ने रिलायंस होम फाइनेंस को छह महीने के लिए प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है और उस पर छह लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

सेबी ने गत बृहस्पतिवार को अपने 222 पृष्ठ के आदेश में कंपनी के प्रबंधन तथा प्रवर्तक के लापरवाह रवैये का जिक्र किया, जिसके तहत उन्होंने ऐसी कंपनियों को सैकड़ों करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किए जिनके पास न तो परिसंपत्तियां थीं, न ही नकदी प्रवाह, ‘नेटवर्थ’ या राजस्व था।

आदेश के अनुसार, इससे पता चलता है कि ‘कर्ज’ के पीछे कोई खतरनाक मकसद छिपा था। सेबी ने कहा कि स्थिति तब और भी संदिग्ध हो गई जब हम इस बात पर गौर करते हैं कि इनमें से कई कर्जदार आरएचएफएल के प्रवर्तकों से करीबी तौर पर जुड़े हुए हैं।

नियामक के अनुसार, आखिरकार इनमें से अधिकतर कर्ज लेने वाले उसका भुगतान करने में विफल रहे, जिसके कारण आरएचएफएल को अपने स्वयं के ऋण दायित्वों पर चूक करनी पड़ी। इस कारण भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ढांचे के तहत कंपनी का समाधान हुआ, जिससे इसके सार्वजनिक शेयरधारक मुश्किल स्थिति में आ गए।